- नारायणबगड़ ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का पर्याय बने आदमखोर गुलदार का वन विभाग ने जारी किया डेथ वारंट
थराली से हरेंद्र बिष्ट।
पिछले एक माह से नारायणबगड़ ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रों में दहशत का पर्याय बने गुलदार को आखिरकार वन विभाग ने आम मंगलवार को आदमखोर घोषित कर ही दिया है। इसके साथ ही अब आदमखोर गुलदार की जिंदगी के दिनों की उल्टी गिनती शुरू हो गई हैं।
दरअसल पिछले एक माह से पश्चिमी पिंडर वन रेंज के अंतर्गत हरमनी से कुलसारी क्षेत्र के करीब 6 वर्ग किमी क्षेत्र में गुलदार की भारी दहशत बनी हुई है। विगत 29 मई की सांझ को गुलदार मलतुरा गांव के मंगेटी तोक से एक 4 वर्षीय बच्चे रमेश पुत्र प्रेम बहादुर को घर के पास से खेलते हुए उठा ले गया था। कई घंटों की तलाश के बाद बच्चे का सर एक झाडी में मिला था।उसी के बाद से क्षेत्रीय ग्रामीण गुलदार को आदमखोर घोषित कर मारने की मांग करने लगे थे। किंतु वन विभाग ने मलतुरा गांव के आसपास पिंजरे लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली थी और गुलदार बचता रहा। उस घटना के अब ठीक एक माह बाद 29 जून सोमवार की देर सांय करीब 7 बजे मलतुरा गांव के कुछ ही किमी की दूरी पर बसे गांव गैरबारम से एक 11 वर्षीया बच्ची को गुलदार ने अपना निवाला बना दिया।
इसके बाद क्षेत्रीय जनता का वन विभाग के खिलाफ गुस्सा फूट कर सड़कों पर आता, उससे पहले ही वन विभाग ने गुलदार का डेथ वारंट जारी कर दिया है। घटना की जानकारी मिलने के बाद आज मंगलवार दोपहर को बदरीनाथ वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष सिंह ने गुलदार को आदमखोर घोषित करने के लिए प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव/ मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को सिफारिशी पत्र भेजने के साथ ही प्रख्यात शिकारी लखपत सिंह रावत गैरसैंण और ज्वाॅय वकील पौड़ी को गैरबारम आ कर इस आदमखोर गुलदार से लोगों को निजात दिलाने की अपील की हैं। डीएफओ के पत्र के बाद माना जा रहा हैं कि जल्द ही दोनों शिकारियों के हाथों आदमखोर गुलदार को मार दिया जाएगा।