हिरासत में मौत मामले में बर्खास्त आईपीएस को उम्रकैद

  • करीब 30 साल पुराने मामले में अदालत ने बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट और एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी आजीवन कारावास की सजा 

जामनगर। गुजरात-कैडर के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को करीब 30 साल पुराने हिरासत में मौत के मामले में यहां एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह भट्ट की याचिका पर 11 अतिरिक्त गवाहों की जांच की मांग पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। संजीव इन गवाहों के बयानों को फिर से दर्ज कराना चाहते थे। घटना के समय संजीव भट्ट जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार जामनगर में हुए दंगों में भट्ट ने 133 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से एक की मौत अस्पताल में उस समय हो गई जब उसे हिरासत से छोड़ा गया था। तब लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के दौरान साम्प्रदायिक दंगों पर काबू पाने के लिए 30 अक्टूबर 1990 को जामखंभाणिया से 133 लोगों की गिरफ्तारियां हुई थीं। इसमें प्रभुदास वैष्णा भी था। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। हॉस्पिटल में ही इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इसके बाद मृतक के भाई ने संजीव भट्ट और अन्य छह पुलिसकर्मियों पर भाई को टार्चर करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में अदालत ने ने भट्ट और एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है।

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