मुख्यमंत्री बोले, तीर्थ पुरोहितों के हित पूरी तरह सुरक्षित

देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड गढ़ेगा नये आयाम  

  • देवस्थानम विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद कानून बनने का रास्ता साफ
  • अब एक छतरी के नीचे आने से बेहतर होगा चारों धाम व अन्य खास मंदिरों का प्रबंधन
  • देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को होगी सहूलियत, उत्तराखंड का होगा विकास
  • अब प्रदेश की जनता के हित में हो सकेगा चारधाम से होने वाली आमदनी का सदुपयोग

देहरादून। उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिल गई है। मंजूरी मिलने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से कहा कि बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और इनके आसपास के मंदिरों का प्रबंधन चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के नियंत्रण में रहेगा।
बोर्ड बनने के बाद मंदिरों से जुड़े पुजारी, न्यासी, तीर्थ पुरोहितों, पंडों और हक हकूकधारियों को वर्तमान में प्रचलित देव दस्तूरात और अधिकार यथावत रहेंगे।
त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि जब हम कोई भी सुधार करते हैं तो उसकी प्रतिक्रिया होती ही है। तीर्थ पुरोहितों के हितों को पूरी तरह सुरक्षित रखा जायेगा। उन्होंने कहा प्रदेश के चार धाम सहित अन्य धार्मिक स्थलों पर देश-विदेश से हिंदु श्रद्धालु आना चाहते हैं। हमें अच्छे आतिथ्य के रूप में जाना जाता है। श्रद्धालुओं को उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर आने का मौका मिले तथा उन्हें अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हों, इसके लिए यह विधेयक लाया गया है।  
गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सरकार उत्तराखंड चारधाम श्राईन बोर्ड प्रबंधन विधेयक को बीते चार दिसंबर विधानसभा सत्र में लाई थी। यहां से पारित होने पर यह अधिनियम बन गया है। इसके साथ ही चारधाम निधि का भी गठन किया जाएगा। फिलहाल वर्ष 1939 के ब्रिटिश कालीन अधिनियम के तहत बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति, बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिरों की व्यवस्था देखती है। जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए अलग से समिति हैं। ये समितियां केवल अपने-अपने मंदिरों तक सीमित हैं। इससे इनमें आपस में समन्वय का अभाव रहता है। चारों धाम के लिए एकल व्यवस्था की जरूरत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी।

अभी तक लाखों की संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को काफी परेशानी का सामना करना पङ़ता है। अब एक छतरी के नीचे आने से चारों धाम के प्रबंधन में आपसी समन्वय बढ़ेगा और व्यवस्थाओं में सुधार होने से देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को सहूलियत होगी। इसके साथ ही चारधाम से होने वाली आमदनी का सदुपयोग पारदर्शी तरीके से प्रदेश की जनता के हित में हो सकेगा
श्राईन बोर्ड के गठन के प्रस्ताव से तीर्थ पुरोहितों व हक हकूक धारियों की आशंकाओं को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निराधार बताते हुए स्पष्ट किया है कि सभी के हक हकूक पूरी तरह सुरक्षित रखे गए हैं। इसके साथ ही मंदिरों के रावल और पुजारियों की नियुक्ति परम्पराओं के अनुसार ही की जाएगी। तीर्थ पुरोहितों के हितों को सुनिश्चित किया गया है। भावी पीढ़ी की सुविधाओं को भी संरक्षित किया जाएगा। बोर्ड में चारों धाम के पुजारियों का भी प्रतिनिधित्व होगा। सभी हक हकूक के संरक्षण के लिए बोर्ड में समिति गठित होगी।
उल्लेखनीय है कि बीते साल चारधाम यात्रा पर रिकार्ड संख्या में 38 लाख श्रद्धालु आए। कुछ वर्षों में चारधाम आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक करोड़ को पार कर सकती है। व्यवस्थाओं को भी उसी के अनुरूप किए जाने जरूरत है। 80 साल पुरानी व्यवस्थाओं को आज की जरूरतों के मुताबिक सुधारना होगा। चारों धाम की व्यवस्थाओं में सुधार के लिये वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी की व्यवस्थाओं का गहन अध्ययन किया गया। जिसमें पाया गया कि 1986 में वैष्णो देवी श्राईन बोर्ड के बनने के बाद वहां की यात्रा व्यवस्थाओं में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। राज्य सरकार व शासन स्तर पर काफी विचार विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी की तर्ज पर यहाँ भी चारधाम श्राईन बोर्ड बनाया जाए। परंतु इसमें यहाँ की परम्पराओं का पूरा ध्यान रखा जाए।
दूसरी ओर अभी तक सारा फोकस बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री पर ही रहता है। चारों धाम के निकटवर्ती मंदिरों के लिए भी व्यवस्था नहीं थी। श्रद्धालु केवल इन्हीं के दर्शन कर लौट आते हैं। आसपास के दूसरे मंदिरों में बहुत कम यात्री जाते हैं। श्राईन बोर्ड के अंतर्गत अन्य मंदिरों को लिए जाने से श्रद्धालुओं को वहां के पौराणिक महत्व के बारे में जानकारी मिलेगी। श्राईन बोर्ड द्वारा इन मंदिरों के प्रबंधन और व्यवस्थाओं में सुधार किया जाएगा।
बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के निकटवर्ती दूसरे मंदिरों की व्यवस्थाओं में सुधार और वहां के पौराणिक महत्व की जानकारी मिलने पर बङी संख्या में यात्री वहां भी जाएंगे। इससे पर्यटन संबंधी गतिविधियां बढेंगी। इससे लोगों के लिए आजीविका के अवसर बढेंगे और स्थानीय आर्थिकी विकसित होगी।
चारधाम श्राईन बोर्ड के बनने के बाद चली आ रही सभी समितियां इसमें समाहित हो जाएंगी। समितियों के कर्मचारी पहले की भांति काम करते रहेंगे और वे बोर्ड के कर्मचारी माने जाएंगे। बोर्ड के काम का विस्तृत दायरा होने से नए पद सृजित किए जाएंगे। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। चारधाम श्राईन बोर्ड आर्थिक व तकनीकी तौर पर अधिक सक्षम होगा। पौराणिक महत्व के मंदिरों की धरोहर को संरक्षित किया जा सकेगा। इन धर्मस्थलों व मंदिरों का नियोजित विकास होगा। मंदिरों सहित निकटवर्ती क्षेत्रों के रखरखाव और विकास के लिए चारधाम निधि का गठन किया जाएगा। त्रिवेंद्र सरकार की इस सराहनीय पहल के दूरगामी नतीजे जल्द ही दिखने लगेंगे।

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