जुबानी जंग
- चैंपियन और कर्णवाल के वार—पलटवार का दौर चरम पर
- दोनों के झगड़े से प्रदेश भाजपा नेतृत्व भी हुआ असहज
- पत्नी के टिकट के लिये चैंपियन ने निशंक को बताया था ‘प्रवासी पंछी’
देहरादून। भाजपा के खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान वार—पलटवार के चलते भाजपा की काफी किरकिरी हुई है। एक तो दोनों विधायक भाजपा के हैं और दूसरे लोकसभा चुनाव में निवर्तमान सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के समर्थन में प्रचार करने के बजाय दोनों एक दूसरे की टांग खींचने में मशगूल रहे। अब देवभूमि की सियासी फिजाओं में यह सवाल तैर रहा है कि विधायक कर्णवाल को चैंपियन के खिलाफ उकसाने वाली वह शख्सियत कौन है? जो चैंपियन को निशाना बनाने के लिये कर्णवाल के कंधे का इस्तेमाल कर रही है।
हालांकि इन दोनों विधायकों में छत्तीस का आंकड़ा जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के समय से बताया जा रहा है जब कर्णवाल ने चैंपियन की पत्नी रानी देवयानी के पक्ष में वोट देने से इनकार कर दिया था, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि कर्णवाल इससे पहले इतने मुखर कभी नहीं दिखे, लेकिन जब चैंपियन ने अपनी पत्नी देवयानी की ओर से लोकसभा की दावेदारी करते हुए निशंक को ‘प्रवासी पंछी’ बताते हुए यह आरोप लगाया कि उन्होंने पांच साल यहां कुछ नहीं किया और आखिरी समय में पत्थर लगा रहे हैं तो उसके तुरंत बाद ही कर्णवाल ने चैंपियन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हरिद्वार की राजनीति भी बड़ी विचित्र है। यहां पहले से ही सांसद निशंक और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। अब भाजपा के ही दो विधायकों की भिड़ंत के पीछे पार्टी का ही कोई बड़ा नेता बताया जा रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि चैंपियन और कर्णवाल दोनों ही विधायकों का मजबूत जनाधार है और उनके परंपरागत वोटर और समर्थक भी काफी तादाद में हैं। इस समय इन दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाये हुए हैं और व्यक्तिगत बयानबाजी पर उतर आये हैं। गत दिवस दोनों ने ही प्रेस वार्ता कर एक दूसरे के खिलाफ जमकर जहर उगला।
झबरेड़ा विधायक ने प्रेस वार्ता में कहा था कि खानपुर विधायक उनके जाति प्रमाणपत्र पर सवाल उठा रहे हैं। वह वर्ष 2005 से ही उनके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। तब वह और चैंपियन की पत्नी देवयानी सिंह जिला पंचायत सदस्य थे। चैंपियन पत्नी को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाना चाहते थे और वोट के लिए उनके पास आए थे। तब उन्होंने इससे इनकार कर दिया था। कर्णवाल ने आरोप लगाया कि उनके विरोधियों से सांठगांठ कर चैंपियन ने सहारनपुर से उनका जाति प्रमाणपत्र बनाने की कोशिश की। कागज बनवाकर वहां के एसडीएम से साइन भी करा लिए लेकिन एसडीएम को गड़बड़ी लगी तो उन्होंने साइन काट दिए। कहा कि इसी कूटरचित दस्तावेज के आधार पर ही उनकी शिकायत की गई। इसके बाद वर्ष 2007 में उन्होंने मुकदमा दर्ज करवाया।
कर्णवाल ने यह भी आरोप लगाया कि जिन लोगों को नामजद करवाया गया, वह चैंपियन समर्थक हैं। उन्होंने चैंपियन का उपहास उड़ाते हुए यहां तक कह डाला कि उन्हें तो गुल्ली डंडा तक खेलना नहीं आता तो वह किस खेल के चैंपियन हैं। वह खुद को राजा बताते हैं, लेकिन वह एक सामंत परिवार से हैं।
उधर पलटवार करते हुए चैंपियन ने भी प्रेस वार्ता में कहा कि कर्णवाल जालसाजी से विधायक बने हैं। साथ ही देशराज को रुड़की के नेहरू स्टेडियम आकर कुश्ती लड़ने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि कर्णवाल ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाया है। उसके आधार पर वह चुनाव लड़े और दावा किया कि वर्ष 2019 में ही देशराज की विधायकी चली जाएगी। जिस पप्पू सिंह आजाद पर मुकदमा करवाया गया उन्हें वह झबरेड़ा से चुनाव लड़वाएंगे।
चैंपियन ने कहा कि वह चार बार विधायक का चुनाव जीत चुके हैं। तीन बार उनकी पत्नी देवयानी जिला पंचायत सदस्य बन चुकी हैं। कर्णवाल के खिलाफ सहारनपुर में मुकदमे दर्ज हैं। इन मुकदमों को भी वह खुलवाएंगे।
उधर चैंपियन की ओर से रुड़की सिविल लाइंस कोतवाली में दी गई तहरीर में कहा गया है कि कुछ असामाजिक तत्व खुद को भाजपा का तथाकथित नेता बताकर उनके खिलाफ मिथ्या आरोप लगाकर उनकी छवि को धूमिल करने की कुचेष्टा कर रहे हैं। फेसबुक पर अभद्र पोस्ट और अपमानजनक अपशब्द लिखकर अपमान किया जा रहा है। उन्होंने मामले में मुकदमा दर्ज करने की मांग की।
इस पूरे मामले में भाजपा के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष नरेश बंसल ने कहा कि खानपुर और झबरेड़ा विधायक को समझदारी के काम लेना चाहिए। अभी फ्रैंडली कुश्ती हो रही है लेकिन पार्टी से बड़ा कोई नहीं है। जरूरत पड़ने पर पार्टी कार्रवाई करेगी। यह परिवार का मामला है। अब तक वह लोकसभा चुनाव में जुटे थे, अब इस मामले को देखा जाएगा।