इस बार जरा हटके है मोदी से टक्कर!

काशी में अपने—अपने आसमां

  • विरोध जताने से लेकर संदेश देने तक का जबरदस्त जरिया बनी वाराणसी सीट
  • यहां से पूर्व जवान, 111 किसान और हाईकोर्ट के एक पूर्व जज भी मैदान में  

इस बार देश की सबसे चर्चित वाराणसी लोकसभा सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने तमिलनाडु के किसानों से लेकर, हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, बीएसएफ से निष्कासित जवान और प्रोफेसर समेत ऐसे कई प्रत्याशी खड़े हैं जो जीतने से ज्यादा कोई संदेश देने या विरोध दर्ज कराने के इरादे से उतरे हैं।
इसलिये यहां का चुनावी माहौल रोचक हो गया है। इन सभी प्रत्याशियों में से कोई मोदी के विरोध में उतरा है तो कोई केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ संदेश दे रहा है। यहां मोदी के मुकाबले में बीएसएफ से निकाला गया  जवान, 111 किसान और एक पूर्व न्यायाधीश भी चुनाव मैदान में हैं। 
इस चुनावी जंग में कोलकाता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज चिन्नास्वामी स्वामीनाथन कर्णन भी शामिल हैं। कर्णन पहले ऐसे जज हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार दिया है और उन्हें वर्ष 2017 में छह महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा था। अब वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ना चाहते हैं। उन्होंने गत वर्ष एक एंटी-करप्शन डायनामिक पार्टी बनाई थी। वह सेंट्रल चेन्नई से नामांकन भर चुके हैं और वाराणसी उनकी दूसरी सीट है।
गत वर्ष बीएसएफ कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव का नाम काफी चर्चा में रहा था। तेज ने जवानों को दिए जाने वाले खराब क्वॉलिटी के खाने की आलोचना करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था जो काफी वायरल हो गया था। हालांकि कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद उनके आरोपों को गलत पाया गया था और उसको नौकरी से निकाल दिया गया था। वह वाराणसी से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। तेज बताते हैं कि उन्होंने वाराणसी सीट को इसलिए चुना है क्योंकि यह एक हाई प्रोफाइल सीट है और भले ही वह हार जाएं, लेकिन वह जवानों के मुद्दों पर रोशनी डालना चाहते हैं और लोगों के बीच संदेश पहुंचाना चाहते हैं।
मोदी के खिलाफ चुनावी जंग में उतरने वाले प्रत्याशियों में तमिलनाडु के 111 किसान भी शामिल हैं। वर्ष 2017 में राजधानी दिल्ली में इन किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था। 111 किसानों के इस समूह का नेतृत्व पी अय्यकन्नू कर रहे हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2017 में इन किसानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई दिन तक  विरोध प्रदर्शन किया था ताकि उनकी समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान जाए।

प्रधानमंत्री के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद शायद सबसे चर्चित प्रत्याशी हैं। उन्होंने 30 मार्च को रोड शो में ‘मोदी की हार का काउंटडाउन’ तक शुरू कर दिया था। अपने तीखे भाषणों के कारण वह दलित युवाओं के बीच चर्चित हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के खुद अस्पताल जाकर उनसे मिलने के बाद से वह और भी चर्चा में आ गए हैं।
नालगोंडा (तेलंगाना) और प्रकासम (आंध्र प्रदेश) में फ्लोरोसिस से पीड़ित लोग सामाजिक कार्यकर्ता वड्डे श्रीनिवास और जलगम सुधीर के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पहुंचे हैं। दोनों ही राज्यों में फ्लोरोसिस एक बड़ा मुद्दा है और इन लोगों का मकसद इस मुद्दे की ओर लोगों का ध्यान खींचना है। बनारस हिंदी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और संकट मोचन मंदिर के महंत विश्वंबर नाथ मिश्रा भी चुनावी जंग में उतरे हैं। मिश्रा गंगा की सफाई को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इन्हें कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ाने की चर्चायें हैं।

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