हाथरस: …तो डीएम-एसपी करा रहे योगी सरकार की फजीहत, होंगे सस्पेंड!

मीडिया पर भी गांव में जाने पर लगाया बैन

  • हाथरस मामले में डीएम और एसपी की भूमिका को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद नाराज हैं।
  • हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार और एसपी विक्रांत वीर पर हो सकती है बड़ी कार्रवाई


हाथरस।
यहां दलित लड़की से गैंगरेप और हत्या का मामला अब पूरी तरह सियासी रंग ले चुका है। दूसरी तरफ इस मामले में शुरुआत से लेकर अभी तक प्रशासनिक लापरवाही भी सामने आई है। अब इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री कार्यालय ने सीधा हस्तक्षेप किया है और माना जा रहा है कि हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार और एसपी विक्रांत वीर पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है। हालांकि प्रशासन ने पीड़ित दलित युवती के गांव में जाने के लिये मीडिया और सियासी दलों के नुमाइंदों पर पाबंदी लगा रखी है और पीड़िता के परिवार से किसी को भी नहीं मिलने दिया जा रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक पूरे मामले में डीएम और एसपी की भूमिका को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद नाराज हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने पूरे मामले में दोनों अधिकारियों की भूमिका पर रिपोर्ट मांगी है। कहा जा रहा है कि देर शाम तक दोनों अधिकारी सस्पेंड हो सकते हैं। हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार पर गैंगरेप की शिकार हुई लड़की के परिवार ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।
पीड़िता की भाभी ने डीएम प्रवीण कुमार पर आरोप लगाया था कि डीएम ने उनके ससुर (पीड़िता के पिता) से कहा है… अगर तुम्हारी बेटी अभी कोरोना से मर जाती तो क्या तुमको मुआवजा मिल पाता? इसके अलावा सोशल मीडिया पर जिलाधिकारी और पीड़िता के पिता के बीच हुई बातचीत की एक फुटेज से भी प्रशासन पर गंभीर आरोप लगने लगे हैं। सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में डीएम पीड़िता के पिता से कह रहे हैं कि आप अपनी विश्वसनीयता खत्म मत करो। ये मीडिया वाले, मैं आपको बता दूं, आधे आज चले गए और आधे कल चले जाएंगे। हम आपके साथ खड़े हैं, आपकी इच्छा है कि आपको बार बार बयान बदलना है कि नहीं बदलना है। अभी हम भी बदल जाएं।
इसके अलावा पीड़िता के रात में जल्दबाजी में किए गए अंतिम संस्कार को लेकर भी हाथरस प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस ने जिस तरह जल्दबाजी में रात के ढाई बजे पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार किया, वह उसकी भूमिका पर बड़े सवाल खड़े करता है। हालांकि एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने बेहद बचकाना तर्क दिया था कि पीड़िता का शव खराब हो रहा था, इसलिए परिवार की मर्जी से अंतिम संस्कार किया गया था। गौरतलब है कि एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार के पहले भी इसी तरह के कई बेतुके बयान सामने आ चुके हैं और वह मीडिया में उपहास का पात्र बन चुके हैं। उनकी विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में रही है।

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