मुख्यमंत्री ने नौकरशाहों पर कसी नकेल!

नौकरशाहों को दी नसीहत

  • बोले त्रिवेंद्र सिंह रावत, उच्च शिक्षा या पद से कहीं बड़ा है व्यवहार 
  • कहा, आम जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरना उनका सबसे बड़ा दायित्व
  • जिम्मेदारियों से अनजान या लापरवाह बने रहना भी अनैतिकता की श्रेणी में 
  • प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों के लोगों की हमसे हैं बहुत अपेक्षाएं, उन पर खरा उतरें 

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि लोकसेवकों के आचरण से राज्य की पहचान होती है। कार्मिकों से उनके विभाग की पहचान भी स्थापित होती है। शासन व सरकार में शामिल लोगों के आचरण से सरकार की छवि बनती है। यदि अच्छी छवि है तो जनता के बीच सकारात्मक संदेश जाता है। बुरी छवि होने से नकारात्मक संदेश जाता है। 
मुख्यमंत्री ‘लोक सेवा में नैतिकता’ विषय पर सचिवालय में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम सभी चाहे सामान्य आदमी हों, कर्मचारी हों या बड़े अधिकारी हों, नियम कायदे सभी के लिए एक समान हैं। अगर हम अपनी जिम्मेदारियों के प्रति न्याय करते हैं तो हम नैतिक हैं और यदि अपनी जिम्मेदारियों के प्रति अनजान या लापरवाह रबने रहते हैं तो यह अनैतिक आचरण की श्रेणी में आता है।

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आज मंगलवार को त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमारा आचरण ही हमें महान बनाता है। अच्छी शिक्षा या उच्च पद पाने पर भी अगर हमारा व्यवहार सही नहीं है तो उच्च शिक्षा या पद का कोई औचित्य नहीं है। रावण बहुत ज्ञानी था परंतु आचरण अनैतिक था। प्रदेश के दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की हमसे बहुत अपेक्षाएं हैं। जितना ऊंचा पद होता है, उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी होती है। समाज विशेष तौर पर युवा पीढ़ी की हमसे बहुत उम्मीदें हैं। ये हम पर है कि हम इन उम्मीदों को कितना पूरा कर पाते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर मनुष्य का अंतिम लक्ष्य सुख प्राप्ति है और सच्चा सुख नैतिकतापूर्ण आचरण से ही सम्भव है। सचिवालय बहुत महत्वपूर्ण संस्था है। यहां लिए जाने वाले निर्णय हजारों-लाखों के जीवन पर प्रभाव डालते हैं। निर्णय लेने या फाइलों के निस्तारण में विलम्ब की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। हमारे राज्य का भला होगा तो हमारा स्वतः ही भला होगा।
कार्यशाला में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि हमें कोई भी निर्णय लेते समय सही और गलत का ज्ञान होना आवश्यक है। यदि निर्णय लेने में दुविधा है तो सबसे गरीब व्यक्ति का ध्यान रखते हुए यह विचार करें कि क्या हम अपने फैसले से उसके लिए कुछ अच्छा कर पा रहे हैं। मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य ने हमें बहुत कुछ दिया है, हमें राज्य को इससे अधिक लौटाना होगा। लक्ष्य 2020 का निर्धारण नैतिकता के आधार पर किया गया है। हमें इन लक्ष्यों की पूर्ति के लिए हर सम्भव कोशिश करनी चाहिए। अपने सामान्य जीवन में नैतिकता का पालन करते हुए अपनी टेबल से समयबद्धता के साथ फाईलों का निस्तारण करना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि लोग हम पर भरोसा करके अपनी समस्याओं को लेकर व्यक्तिगत या फोन पर सम्पर्क करते हैं। हमारा दायित्व है कि हम उनकी बात को ध्यान से सुनें और यथासम्भव राहत देने की कोशिश करें। डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने कहा कि सभी अधिकारियों को नियमों की पूरी जानकारी होती है। इन नियमों का पालन करते हुए लोक सेवा में नैतिक आचरण बनाया रखा जा सकता है। दक्षता, ज्ञान व मनोवृत्ति सबसे महत्वपूर्ण हैं। कार्यशाला को आत्मचिंतन का महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा कि सही व गलत की पहचान जरूरी है। जनसामान्य के जीवन-गुणवत्ता में सुधार, शासन का सबसे बड़ा उद्देश्य है। हम अधिकारियों को अच्छा वेतन व अन्य सुविधाएं मिलती हैं जबकि एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे अपनी सामान्य जरूरतों को पूरा करने के लिए भी जद्दोजहद करनी पड़ती है। सामान्य जन के लिए  अधिकारियों का उपलब्ध रहना सबसे महत्वपूर्ण है।
कार्यशाला को अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने भी सम्बोधित किया। एसएसपी विजिलेंस सैंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने सतर्कता अधिष्ठान की ओर से प्रस्तुतिकरण दिया। कार्यशाला का संचालन अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने किया। कार्यशाला में शासन के प्रमुख सचिव, सचिव, अपर सचिव से लेकर सेक्शन ऑफिसर स्तर तक के अधिकारी उपस्थित थे। 

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