20 गाड़ियों में सीआरपीएफ के 400 जवान आने की आतंकियों को किसने दी खबर!

आस्तीन के सांपों की हो पहचान

जंग-ए-बदर पर थी पुलवामा जैसे हमले की प्लानिंग, आज तीन आतंकियों के निशाने पर थे सीआरपीएफ के 400 जवान
जम्मू कश्मीर में पुलवामा जैसा हमला फिर से करने की कोशिश में थे आतंकी, सुरक्षा बलों ने किया नाकाम
पुलिस को देखकर आईईडी से लदी कार छोड़कर भागा था आतंकी, इस हमले में फौजी भाई और आदिल की तलाश

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में आतंकी फिर एक पुलवामा जैसे हमले की प्लानिंग कर रहे थे, जिसे पुलिस और सुरक्षा बलों के जवानों ने नाकाम कर दिया। इस हमले में निशाने पर सुरक्षा बलों की 20 गाड़ियां निशाने पर थीं, जिसमें सीआरपीएफ के करीब 400 जवान होते। अब खुफिया टीम उन आस्तीन के सांपों की तलाश में सरगर्मी से जुट गई हैं जिन्होंने सीआरपीएफ के काफिले के आज गुरुवार के आने की इत्तला आतंकियों को दी और उन पर हमले की साजिश रची थी। वो बात अलग है कि पहले इस हमले को करने की प्लानिंग जंग-ए-बदर के दिन की थी, लेकिन तब से अब तक पुलिस ने अपनी तरफ से कोई सुरक्षा चूक नहीं होने दी। जिससे आतंकी अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए। इस हमले में तीन आतंकियों के शामिल होने का पुलिस ने दावा किया है। इसमें पहले का नाम आदिल, दूसरे का फौजी भाई है। तीसरा कार का ड्राइवर था, जिसका पुलिस पता कर रही है। पुलवामा हमले की तरह इस मामले की जांच भी एनआईए को सौंप दी गई है।
पुलिस को शक है कि जैश के निशाने पर सीआरपीएफ के 400 जवान थे। आज गुरुवार को सीआरपीएफ की 20 गाड़ियों का काफिला श्रीनगर से जम्मू पहुंचा है। पता चला है कि काफिला सुबह 7 बजे बक्शी स्टेडियम कैंप से जम्मू के लिए निकलना था। इस काफिले में सभी रैंक के अफसर और जवान शामिल थे।

यहाँ भी पढ़ें : पुलवामा-2 के फ़िराक में थे आतंकी, सुरक्षाबलों ने वक्त रहते IED ब्लास्ट को टाला

गौरतलब है कि रमजान के 17वें रोजे को जंग-ए-बदर के नाम से जाना जाता है। इसी दिन इस्लाम के लिए पहली जंग लड़ी गई थी। जंग-ए-बदर 624 ई. में मदीना में लड़ी गई थी। कहा जाता है कि लड़ाई में एक तरफ मक्का के कुरैश कबिले के तकरीबन 1000 बड़े-बड़े योद्धा शामिल और दूसरी तरफ थे पैगम्बर और उनके 313 साथी। इनमें से ज्यादातर ने पहले कभी जंग नहीं लड़ी थी।
अरब क्षेत्र में यह लड़ाई बुराई के खिलाफ हुई बताई जाती है।
कश्मीर में भी कथित ‘आजादी’ के नाम पर हो रहे आतंकी हमले भी इसी का हिस्सा हैं। आतंकी वहां इसी दिन को इसलिए भी चुन रहे क्योंकि जंग ‘आजादी’ की न होकर इस्लाम की होती जा रही है। इस बात को मजबूत करता एक तथ्य भी है। पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 44 जवानों को शहीद करने वाला जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल अहमद डार ने अपने आखिरी मैसेज में यह बात साफ तौर पर कही थी कि उसकी जंग कश्‍मीर की आजादी के लिए नहीं, बल्कि इस्‍लाम के लिए है।
कश्मीर पुलिस के आईजी विजय कुमार ने बताया कि उन्हें पहले से ऐसे हमले के इनपुट मिल रहे थे और वह पूरी तरह तैयार थे। बुधवार को इनुपट के बाद उन्होंने जगह-जगह पुलिस नाके लगाए। सेंट्रो कार जिसका इनपुट पुलिस पर था, उसे नाके पर रोकने को कहा गया। उसके न रोकने पर फायरिंग हुई तो आतंकी गाड़ी छोड़ अंधेरे का फायदा उठाते हुए कहीं गायब हो गया। सुबह बम स्क्वॉयड आया तो गाड़ी में आईईडी मिला। विजय कुमार के मुताबिक, इस साजिश में जैश का पाकिस्तानी कमांडर फौजी भाई शामिल है। आदिल नाम का कोई आतंकी भी इसमें शामिल था जो हिजबुल और जैश दोनों के लिए काम करता है। यह भी अजीब संयोग है या साजिश का अहम हिस्सा कि आदिल डार नाम का ही शख्स पुलवामा के पहले आतंकी हमले में शामिल था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here