उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के हालात 22 साल में नहीं बदले, 5,388 संपत्तियां चार कर्मचारियों के भरोसे

देहरादून।देश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए कानून में बदलाव तो हो गए, लेकिन उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं। राज्य गठन के बाद वर्ष 2003 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को 22 साल पूरे हो चुके हैं। बोर्ड के पास यूं तो यूपी के हिस्से से बंटवारे में बड़ी संख्या में संपत्तियां आईं लेकिन उनके सही रख-रखाव संबंधी जिम्मेदारियां उठाने के लिए आज तक कर्मचारी नहीं मिल पाए।
पांच अगस्त 2003 को उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड वक्फ बोर्ड को अलग करते हुए 2032 सुन्नी एवं 21 शिया वक्फ संपत्तियों की जिम्मेदारी सौंपी गई। आज वक्फ बोर्ड के पास 2146 औकाफ और उनकी 5388 संपत्तियां हैं। सरकार ने हाल ही में इन संपत्तियों के संरक्षण, उपयोग, सुधार, पारदर्शिता के लिए वक्फ कानून में संशोधन कर दिया है। लेकिन संपत्तियों के रखरखाव में अहम किरदार निभाने वाले कर्मचारियों के प्रस्ताव कागजों में ही दफन हैं।
उत्तर प्रदेश से संपत्तियां तो मिलीं लेकिन कर्मचारी नहीं। ऐसे में वर्ष 2004 में राज्य सरकार से विशेष अनुमति लेकर वक्फ निरीक्षक, रिकॉर्ड कीपर, कनिष्ठ लिपिक और अनुसेवक के चार पदों पर अस्थायी भर्ती की गई। ये चार कर्मचारी ही पिछले 22 वर्षों से पूरे बोर्ड का कामकाज संभाल रहे हैं।
बोर्ड द्वारा 36 कर्मचारियों की आवश्यकता को देखते हुए कई बार पदों के सृजन का प्रस्ताव तैयार किया गया और शासन को भेजा गया। लेकिन किसी न किसी कारणवश यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया। इस दौरान राज्य में विभिन्न सरकारें आईं, कई बार वक्फ कानूनों में बदलाव भी हुए, लेकिन कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। इससे स्पष्ट है कि वक्फ बोर्ड को लेकर शासन स्तर पर कभी गंभीरता नहीं बरती गई।
चार अध्यक्ष बने, तीन बार प्रशासकों के हवाले रहा बोर्ड
बोर्ड के गठन के बाद वर्ष 2004 में रईस अहमद पहले अध्यक्ष बने, जिनका कार्यकाल 2007 तक रहा। 2007 से 2010 तक जिलाधिकारी देहरादून बोर्ड के प्रशासक रहे। 2010 से 2012 तक हाजी राव शराफत अली, 2013 से 2015 तक राव काले खां अध्यक्ष रहे। 2016 में ही करीब सात माह तक डीएम देहरादून प्रशासक के हवाले रहा। दिसंबर 2016 से अक्तूबर 2021 तक हाजी मोहम्मद अकरम बोर्ड के अध्यक्ष रहे। 28 अक्तूबर 2021 से छह सितंबर 2021 तक आईएएस डॉ. अहमद इकबाल यहां बतौर प्रशासक रहे। सात सितंबर 2022 से शादाब शम्स बोर्ड अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।