देहरादून। उत्तराखंड ऊर्जा निगम हमेशा से ही विवादों के घेरे में रहा है। निगम के लिये सफेद हाथी बने अफसरों की फौज का ध्यान सिर्फ अपनी मोटी पगार और सुविधाओं पर है, जबकि ऊर्जा निगम का कई सौ करोड़ हजम करे बैठे बकायेदारों से वसूली के नाम पर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। बावजूद इसके इन दिनों ऊर्जा निगम प्रबंधन घाटे का रोना रो रहा है। स्थिति यह है कि अब ऊर्जा निगम प्रबंधन ने सरकार से ही वित्तीय मदद की गुहार लगाई है।
ऊर्जा निगम के अफसरों ने हाल ही में ऊर्जा संकट के दौरान कई गुना महंगे रेट पर बिजली खरीदने को वजह बताया है। वित्तीय संकट से उबरने के लिए उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) राज्य सरकार से 350 करोड़ की वित्तीय मदद मांगी थी। प्रबंध निदेशक अनिल कुमार यादव ने बताया कि निगम ने अब तक बैंकों से करीब 100 करोड़ रुपए का ओवरड्रा किया है। यूपीसीएल एफडी के एवज में 250 करोड़ तक का ओवरड्रा कर सकता है। जबकि हैरान करने वाली बात यह है कि अगर ऊर्जा निगम करोड़ों के बकायेदारों से अपना बकाया वसूल कर ले तो उसे सरकार से पैसे मांगने की जरूरत ही न पड़े।
जानकारी के मुताबिक पिछले 2 महीने में करीब 400 करोड़ की बिजली खरीदी गई है, जबकि सामान्य स्थिति में यूपीसीएल 300 करोड़ तक बिजली खरीदता है। जबकि ऊर्जा निगम का बकायेदारों पर करोड़ों का बकाया है। ऊर्जा निगम की तरफ से अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर भी ऐसे डिफॉल्टर्स की सूची जारी की गई है, उन्होंने विभाग का पैसा दबाकर रखा है। इस लिस्ट में 2500 से ज्यादा ऐसे डिफॉल्टर हैं, जिन्हें 1 लाख से ज्यादा बकाया देना है। इसमें अधिकतर 5 लाख से अधिक के बकायेदार हैं।
डिफॉल्टरों की 54 पेज की सूची में ऐसे बकाएदार भी हैं जिनका बकाया 10 करोड़ से भी ज्यादा है। 60 पेज की दूसरी सूची में ऐसे डिफॉल्टर्स के नाम लिखे गए हैं, उन्हें 2000 से ज्यादा की देनदारी करनी है। इसमें भी करीब 3 हजार संस्थान या लोग हैं जिन्हें यह बकाया देना है। यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक कहते हैं कि निगम की तरफ से ऐसे डिफॉल्टरों से अभियान के तहत वसूली करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा भी तय नियमों के तहत डिफॉल्टरों को लेकर कार्रवाई की जा रही है। हालांकि उत्तराखंड में बकायेदारों को लेकर यह कोई नई सूची नहीं है. ऐसी कई सूचियां लगातार सामने आती रही हैं जिसमें ऊर्जा निगम करोड़ों का बिल वसूलने में नाकामयाब रहा है।उधर बिजली चोरी और लाइन लॉस के मामले पर पहले ही यूपीसीएल की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में रही है। हाल ही में ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा था कि ऐसे तमाम विषयों को लेकर विचार किया जा रहा है जो जरूरी है और निगम की तरफ से बकायेदारों के मामले में भी बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। वो बात अलग है कि बकायेदारों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है और वसूली के नाम पर अफसर बगलें झांक रहे हैं।