उत्तराखंड : भाजपा के लिये जनवरी माह बनेगा ‘मील का पत्थर’!

नया साल नये टारगेट

  • 15 जनवरी के बाद इसी माह तय हो जाएगा भाजपा का ‘टीम कप्तान’
  • डॉ. धन सिंह रावत के कंधे पर सज सकते हैं फुल कैबिनेट मंत्री के स्टार
  • मंत्री बनने की कतार में तो गणेश जोशी भी है प्रबल दावेदार, लेकिन…
  • नई टीम के साथ भाजपा के सामने हवा बनाने की चुनौती

देहरादून। यह जनवरी माह उत्तराखंड भाजपा के लिये ‘मील का पत्थर’ साबित होने जा रहा है। त्रिवेंद्र कैबिनेट के विस्तार की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। सूत्रों के अनुसार डॉ. धन सिंह रावत के कंधे पर  फुल कैबिनेट मंत्री के स्टार सज सकते हैं। वैसे तो अन्य दिग्गज भाजपा नेताओं के साथ ही मंत्री बनने की कतार में तो गणेश जोशी भी प्रबल दावेदार बताये गये हैं, लेकिन गढ़वाल मंडल और कुमाऊं मंडल के बीच सामंजस्य बैठाने के चलते जोशी को अगली सरकार में मंत्री पद मिलना तय बताया जा रहा है। दूसरी ओर दो माह बाद त्रिवेंद्र सरकार तीन साल पूरे करने जा रही है। इस टर्निंग प्वाइंट पर प्रदेश की सियासी शतरंज पर चालें भी बदलनी शुरू हो जाएंगी। हालांकि इससे पहले ही भाजपा संगठन को नया कप्तान मिल जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि 15 जनवरी के बाद केंद्रीय नेतृत्व कभी भी चुनाव की घोषणा कर सकता है। यानी नये साल के पहले ही महीने में भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा। नये कप्तान के नेतृत्व में नई टीम के सामने अगले दो साल अवसर और चुनौती  साथ लेकर आएंगे। संगठन के स्तर पर नई टीम के चयन का आधे से अधिक कार्य पूरा होने की चर्चा है। ब्लाक और जिला अध्यक्षों का चुनाव हो चुका है और 15 जनवरी के बाद वे भी अपनी अपनी टीमों की घोषणा कर सकते हैं।
भाजपा संगठन की शेष टीम प्रदेश अध्यक्ष और उनकी कार्यकारिणी के गठन के साथ पूरी हो जाएगी। माना जा रहा है कि प्रदेश सरकार के ठीक तीन साल पूरा होने से पहले नया कप्तान और उसकी नई टीम सियासी मैदान में उतरने को तैयार होगी। इस बारे में भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रमुख डॉ. देवेंद्र भसीन का कहना है कि भाजपा अपने सांगठनिक नेटवर्क और अनुशासन के लिए जानी जाती है। 2022 के विधानसभा चुनाव में संगठन का नये नेतृत्व बहुत भूमिका होगी। हालांकि चुनाव अभी दूर हैं, लेकिन तैयारी को लेकर भाजपा की गतिविधियां चलती रहती है।’
हालांकि संगठन के सामने पार्टी की सरकार के पक्ष में माहौल बनाने की सबसे बड़ी चुनौती है। केंद्रीय योजनाओं और कार्यक्रमों के अलावा तीन साल में प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर कई कल्याणकारी योजनाएं बनाई हैं। इन योजनाओं को पात्रों तक पहुंचाने का काम जहां सरकार को करना है, वहीं इन योजनाओं के प्रचार की जिम्मेदारी संगठन के कंधों पर है। तीन साल पूरे होते कांग्रेस और विरोधी दल त्रिवेंद्र सरकार की उपलब्धियों के रिपोर्ट कार्ड की मांग करेंगे, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार की झोली में ‘बहुत कुछ’ ऐसा निकलेगा कि विरोधी चारों खाने चित नजर आ सकते हैं। फिर भी विपक्ष के धारदार हमलों के खिलाफ संगठन को ही सरकार की ढाल बनना पड़ेगा।
भाजपा के नये कप्तान और उनकी टीम का कार्यकाल नया अवसर लेकर आएगा। विधानसभा चुनाव में टिकटों के आवंटन से लेकर चुनावी रूपरेखा तय करने में संगठन की ही अहम भूमिका होगी। अगली भाजपा सरकार बनाने के लिये पार्टी संगठन के फैसले दूरगामी परिणाम लेकर आएंगे। हालांकि वक्त और जनता जनार्दन कब किसके पक्ष में करवट बदल ले, इसके बारे में पहले भी दिग्गज सियासदां लोगों अनुमान  ध्वस्त होते रहे हैं, इतिहास इसका गवाह है।    

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here