उत्तराखंड : खुद की बिछाई सियासी बिसात में ही मात खा गये केजरीवाल!

शह और मात का खेल

  • उत्तराखंड में पैर जमाने के लिये आम आदमी पार्टी की ओर से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया को भेजकर सजाई थी सियासी शतरंज की बिसात  
  • सिसौदिया ने उत्तराखंड सरकार के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को पत्र लिखकर दी थी उत्तराखंड के विकास के मॉडल पर खुली बहस की चुनौती
  • पहले कौशिक ने कबूल की थी सिसौदिया की चुनौती, बाद में पत्रकार वार्ता कर किया दावा कि राजनीतिक रूप से गंभीर नहीं हैं आप नेता
  • प्रदेश भाजपा के मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने भी सिसोदिया पर किया पलटवार, कहा- आप नेता इस लायक नहीं, उनकी बात का दें जवाब

देहरादून। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने उत्तराखंड सरकार के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को पत्र लिखकर खुली बहस की चुनौती को जब कौशिक ने कबूल कर लिया था तो आम आदमी पार्टी के कर्ताधर्ता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की बांछें खिल गई थीं। वह बहुत खुश थे कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार उनके बिछाये जाल में फंस गई और बहस का नतीजा कुछ भी हो, लेकिन मीडिया की सुर्खियों में छाने और उत्तराखंड की सियासत में पैर जमाने का एक सुनहरा मौका उन्हें मिलने जा रहा है। अपनी इसी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिये आप नेता मनीष सिसौदिया ने कहा था कि वह पांच जनवरी में उत्तराखंड पहुंचकर बहस करने को तैयार हैं।
सिसौदिया ने त्रिवेंद्र सरकार को ताव दिलाने के लिये यहां तक कहा कि उत्तराखंड सरकार ने 20 साल में कुछ नहीं किया। सिसौदिया की चुनौती को उत्तराखंड सरकार के शहरी विकास मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने स्वीकार कर लिया था, लेकिन बाद में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कौशिक को इसके नफा नुकसान गिनाये तो सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी कौशिक को केजरीवाल का सारा खेल समझ में आ गया और आप के ‘गुब्बारे’ में पिन चुभोकर उसकी पूरी ‘हवा’ निकालते हुए आमने सामने की बहस से किनारा कर लिया।
कौशिक ने बकायदा मीडिया से बात करते हुए सिलसिलेवार अपनी बात रखते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता राजनीतिक रूप से कतई गंभीर नहीं हैं और सिसौदिया के पत्र से यह जाहिर हो रहा है। बहस उन्हीं से की जा सकती है, जो बहस के प्रति गंभीर हों। साथ ही कौशिक ने सिसौदिया को तीन पेज का पत्र भेजा। वहीं अपनी सियासी जमीन तैयार करने की फिराक में जुटे सिसोदिया ने उत्तराखंड आने से पहले कहा था कि त्रिवेंद्र सरकार सौ काम नहीं, सिर्फ पांच काम बताए जिससे जनता का भला हुआ हो।  
सिसोदिया कौशिक से विकास के एजेंडे पर बहस करने पहुंचे थे। उन्होंने बहस के लिए मंच भी सजा दिया था, लेकिन कौशिक ने इसे टूरिस्ट पॉलिटिक्स करार देकर सिसोदिया के चैलेंज को नजरअंदाज कर दिया। त्रिवेंद्र सरकार के इस अप्रत्याशित ‘दांव’ से केजरीवाल खुद की बिछाई बिसात में बुरी तरह मात खा गये।  
कौशिक ने आप नेताओं को पर्यटक राजनेता करार दिया और कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने पहले दिल्ली के लोगों को धोखा दिया और अब वो उत्तराखंड के लोगों को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं।
कौशिक के पत्र की मुख्य बातें
1. अन्ना हजारे की ओर से खड़े किए गए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से आम आदमी पार्टी बहुत दूर हो चुकी है। इसी आंदोलन से आप का जन्म हुआ था।
2. आम आदमी पार्टी इस समय सेलर ऑफ होप (उम्मीद के व्यापारी) बन चुकी है।
3. आम आदमी पार्टी का पूरा नेतृत्व पलायनवादी मानसिकता का शिकार हो चुका है। पार्टी के नेता पहले नेता बनने के लिए पंजाब पहुंचे थे, अब उत्तराखंड आए हैं। पर्यटक राजनेताओं का स्वागत है।
4. जहां तक बहस का सवाल है। उत्तराखंड भाजपा का कोई मंत्री या राजनेता ही नहीं बल्कि एक छोटा कार्यकर्ता भी मुद्दा आधारित राजनीतिक बहस कर सकता है।
5. दिल्ली मॉडल का हाल सभी देख रहे हैं। आप ने 400 नई लाइब्रेरी खोलने की घोषणा की थी, इसमें से एक चौथाई भी नहीं खुल पाईं। दिल्ली मेें सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है।
6. आम आदमी पार्टी की सरकार को बताना चाहिए कि पिछले सात साल में दिल्ली में कितने नए कॉलेज, विश्वविद्यालय या मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए। उत्तराखंड से तुलना कर लीजिए आपको उत्तर मिल जाएगा।
7. देश की राजधानी दिल्ली को आम आदमी पार्टी की सरकार की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा। जैसे ही कोरोना शुरू हुआ दिल्ली के मुख्यमंत्री ने खुद को आइसोलेट कर लिया। जिन मोहल्ला क्लीनिकों का प्रचार किया गया, उनमें से अधिकतर बंद हो गए।
8. दिल्ली में प्रदूषण की हालत चिंताजनक है और इसका ठीकरा किसानों के सर फोड़ा जा रहा है। दिल्ली की अधिकतर कॉलोनियों में एक-दो घंटे पानी की सप्लाई कर झूठी वाहवाही लूटी जा रही है।
9. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री की ओर से पत्र जारी किया जा रहा है और उसमें तारीख तक ठीक नहीं है। दिल्ली मॉडल पर चर्चा के लिए जनवरी 2020 की तारीख तय की गई है। इससे पता चलता है कि तथ्यों को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार कितनी गंभीर है। किसी गंभीर मुद्दे पर बात करने से पहले समुचित तैयारी जरूर करनी चाहिए, ताकि आप 2021 की शुभकामनाएं 2020 के नाम पर भेजते न दिखाई दें।
अपनी इसी ‘चाल’ के तहत जब सिसोदिया ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को निशाने लिया तो भाजपा के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान भी खुद को नहीं रोक पाए। चौहान ने आम आदमी पार्टी के नेताओं पर जवाबी हमला बोला। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता इस लायक नहीं है कि उनकी बातों का जवाब दिया जाए। चौहान ने कहा कि आम आदमी पार्टी का उत्तराखंड में न कोई वजूद है न ही उनके नेता इस लायक हैं कि उनकी किसी बात का जवाब दिया जा सके। उनकी गैरजिम्मेदाराना हरकत उत्तराखंड की राजनीति के फ्रेम में अपने को फिट करने के प्रयास तक सीमित है।
चौहान ने कहा कि आप के नेता उत्तराखंड केवल सैर सपाटे के लिए आए हैं। उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं के पास ऐसे नेताओं के लिए समय नहीं है। न हीं उनकी किसी बात को वह गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने केजरीवाल सरकार पर वार करते हुए कहा कि सिसोदिया कहते फिर रहे हैं, दिल्ली के सरकारी स्कूल निजी स्कूलों से बेहतर हैं। वह अपना ज्ञानवर्द्धन कर लें। उत्तराखंड के बच्चे सरकारी स्कूलों से निकलकर फौज में अफसर बने हैं। आईएएस, आईपीएस, आईआईटी, मेडिकल और अनेक प्रतिष्ठित परीक्षाओं में शामिल होकर सफलता पा रहे हैं। बड़े ओहदों पर देश की सेवा कर रहे हैं। इसलिए वे उत्तराखंड आकर अपनी अराजकता और अज्ञानता की ब्राडकास्टिंग न करें।      
मुन्ना ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीब पौने चार साल के कार्यकाल में सुशासन, पारदर्शिता, वित्तीय अनुशासन, भ्रष्टाचार पर अंकुश, रिवर्स माइग्रेशन, चिकित्सा, टेली चिकित्सा, वर्चुअल क्लासेज, नए पर्यटन स्थलों के विकास और कोविड-19 मैनेजमेंट के साथ ही ढांचागत विकास और लोगों की मूलभूत सुविधाओं को लेकर अनेक कार्य हुए हैं। इस तरह आप की देवभूमि में पैर जमाने की चाल धरी की धरी रह गई।

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