राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजा राखी का नाम

  • चार साल के भाई पर गुलदार ने किया हमला तो अपनी जान की परवाह न कर मौत के मुंह से खींच लाई थी राखी
  • दूसरा नाम देहरादून जिले के डोईवाला विकासखंड के मिस्सरवाला निवासी आयुष का, जिसने अपने परिवार से बिछड़ा तीन वर्षीय बच्चा सौंपा था पुलिस को

देहरादून। अपनी जान की परवाह किए बिना पौड़ी जिले की ग्राम देव कुंडई निवासी राखी ने गुलदार के हमले से अपने छोटे भाई की जान बचाई। राखी के इस साहस के लिए उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद ने उसका नाम राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजा है। राखी सहित प्रदेश से दो बच्चों के नाम इस पुरस्कार के लिए भेजे गए हैं। जिसमें एक बच्चा देहरादून के डोईवाला विकासखंड का हैं।
केंद्र सरकार हर वर्ष बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार देती है। इसके तहत इस वर्ष भी प्रदेश से बच्चों के नाम मांगे थे, लेकिन प्रदेश से 30 सितंबर तक एक भी नाम भारतीय बाल कल्याण परिषद नई दिल्ली को नहीं भेजा गया। नाम भेजने की अंतिम तिथि नजदीक आने पर मीडिया ने इस मुद्दे को उठाया तो हरकत में आए शासन ने मामले को गंभीरता से लेकर जिलों से नाम मांगे। जिसके बाद एक बच्ची का नाम पौड़ी गढ़वाल व एक बच्चे का नाम देहरादून जनपद से राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए भेजा गया है। जिसमें पहला प्रकरण पौड़ी गढ़वाल जनपद की राखी एवं दूसरा देहरादून जनपद के डोईवाला विकासखंड के आयुष कोठारी का है।
पौड़ी गढ़वाल जिले की देव कुंडई गांव निवासी राखी अपने चार साल के भाई राघव व मां के साथ 4 अक्तूबर 2019 को खेत पर गई थी। जहां से दोपहर करीब ढाई बजे भाई राघव को कंधे में बैठा कर वह घर लौट रही थी। रास्ते में अचानक गुलदार ने राघव पर हमला कर दिया, यह देख राखी अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए गुलदार से भिड़ गई। गुलदार ने राखी पर अपने पंजों और दांतों से कई वार किए, लेकिन लहूलुहान राखी ने गंभीर हालत के बावजूद हिम्मत दिखाई और अपने भाई को नहीं छोड़ा। इस बीच राखी की मां पीछे से आ गई। उसके शोर मचाने पर गुलदार जंगल की ओर भाग गया।
दूसरे बच्चे का नाम देहरादून जिले के डोईवाला विकासखंड के मिस्सरवाला निवासी आयुष कोठारी है। जिसने 24 जून 2019 को अपने परिवार से बिछड़े तीन वर्षीय बच्चे को सूझबूझ का परिचय देते हुए पुलिस के सुपुर्द कर उसे उसके परिजनों से मिलाया। लईक अहमद निवासी ग्राम धनोरा थाना शहजाद नगर जिला रामपुर उत्तर प्रदेश अपने रिश्तेदारों के यहां तेलीवाला डोईवाला आए थे। जहां उनका तीन वर्षीय पुत्र समद अचानक लापता हो गया था। वह घर से आठ किलोमीटर दूर मिस्सरवाला पहुंच गया था।
आयुष की नजर बच्चे पर पड़ी तो उसने अपने चचेरे भाई सूरज के सहयोग से उसे पुलिस स्टेशन तक पहुंचाया। आयुष व सूरज की बुद्धिमत्ता एवं सूझबूझ से समद अपने परिजनों के पास पहुंच गया।
उत्तराखंड राज्य बाल कल्याण परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. आईएस पॉल, उपाध्यक्ष मधु बेरी, भूपेश जोशी, महासचिव पुष्पा मानस, संयुक्त सचिव कमलेश्वर प्रसाद भट्ट, आशा श्रीवास्तव, बालकृष्ण डोभाल, आशालता पैन्यूली, कुसुम कोठारी, आरएस रावत, डीसी भट्ट, केपी सती आदि ने इन बच्चों के साहसिक व सूझबूझ की सराहना की है।

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