- जिन चुनावी सेनापतियों के कंधों पर अपनी पार्टी की जीत का दारोमदार, वे अपने विस क्षेत्र में ही अटके
देहरादून। देवभूमि का अजब हाल है। यहां सियासी द्रोणाचार्य अपने ही बनाये चुनावी चक्रव्यूह में फंसकर रह गये हैं। इस बार के विस चुनावी रण में सियासी दलों के जिन सेनापतियों पर 70 सीटों का दारोमदार हैं, वे ही अपने दुर्ग से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। अन्य विधानसभा सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए उन्हें समय ही नहीं मिल पा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा, पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुआं और आम आदमी पार्टी से कर्नल अजय कोठियाल गंगोत्री विधानसभा में फंसे दिखते हैं।
भाजपा धामी के नाम पर चुनाव लड़ रही है। वह खटीमा से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां से वह लगातार दो बार विधायक चुने गये हैं। इस बार यहां से कांग्रेस के भुवन कापड़ी और आप के एसएस कलेर चुनाव मैदान में हैं। धामी के ऊपर पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने की बड़ी जिम्मेदारी है। अपने दुर्ग को बचाने के लिए उनका दिल तो खटीमा में है और कदम अन्य विधानसभा क्षेत्रों में हैं। कई दिनों से धामी खटीमा में ही डटे हैं। हालांकि फुरसत मिलते ही वे अपने दुर्ग से बाहर निकलते हैं, लेकिन नजरें खटीमा पर ही टिकी रहती हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष व पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। यहां से भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट, कांग्रेस से बगावत कर संध्या डालाकोटी निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। हरीश रावत पर 70 सीटों पर पार्टी की जीत का दारोमदार है, लेकिन वह भी लालकुआं से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। कांग्रेस से बगावत करने वाली संध्या डालाकोटी और भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट के त्रिकोण से निकल नहीं पा रहे हैं।
आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोठियाल को सीएम का चेहरा घोषित किया है। उत्तरकाशी जिले को अपनी कर्मभूमि मनाने वाले कोठियाल गंगोत्री सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से कांग्रेस के विजय पाल सजवाण और भाजपा से सुरेश चौहान चुनावी मैदान में हैं। कर्नल कोठियाल पहली बार चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं। उनके सामने गंगोत्री से सियासी सर्जिकल स्ट्राइक कर मिथक तोड़ने की चुनौती है। गांव-गांव जाकर लोगों से संपर्क करने में जुटे हैं। बाकी सीटों पर आप के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने का उन्हें टाइम नहीं मिल पा रहा है।
उधर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल खुद श्रीनगर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी व कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत से है। कांग्रेस की सत्ता में वापसी और खुद का दुर्ग बचाने के लिए वह दोहरे दबाव में हैं। इसके चलते गोदियाल भी प्रचार के लिए अपने क्षेत्र तक में ही सिमट कर रह गए हैं।
दिलचस्प बात यह है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के कदम भी हरिद्वार के समर में ही ठिठके हुए हैं। हरिद्वार सीट पर कांग्रेस से सतपाल ब्रह्मचारी चुनाव मैदान में हैं। प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन से कौशिक को कैबिनेट पद से हटाकर संगठन में बतौर प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। बतौर प्रदेश अध्यक्ष उनका यह पहला विधानसभा चुनाव है, इसलिये वह अपने दुर्ग को सुरक्षित करने में ही अधिक समय दे रहे हैं।