लॉकडाउन ने दिखाई औकात
- रोजी रोटी के संकट में असहाय होकर लौटा तो पत्नी और बच्चों ने भी उसके लिए बंद किये घर के दरवाजे
- अपनी 78 साल की मां पत्नी बुगना देवी के साथ ही रहते हैं उसके बेटे 63 वर्षीय त्रेपन और 61 साल के कल्याण
- अब जेस्तवाड़ी गांव का प्रधान है उनका पोता, बुगना देवी ने कहा कि मुझे तो अब उसका चेहरा भी याद नहीं
उत्तरकाशी। लॉकडाउन के चलते रोजी रोटी का संकट होने पर जिले के जेस्तवाड़ी गांव के 80 साल के सूरत सिंह चौहान का अपने घर लौटने पर परिवार के सदस्यों ने यह कहकर स्वागत नहीं किया कि इतने सालों में उन्होंने परिवार की कोई सुध नहीं ली तो अब वे उसके लिये कोई हमदर्दी नहीं रखते।
गौरतलब है कि सूरत सिंह जब 18 साल के थे, तभी वह 16 साल की पत्नी और दो छोटे बच्चों को बेसहारा छोड़ घर से निकल गए थे। चौहान की पत्नी बुगना देवी अब 78 साल की हैं। दो बेटे त्रेपन सिंह (63) और कल्याण सिंह (61) उनके साथ ही रहते हैं।
स्थानीय राजस्व अधिकारी वीरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि कोविड-19 के कारण जब अलग-अलग राज्यों के प्रवासियों की वापसी हुई तो चौहान ने भी उत्तराखंड लौटने के लिए हिमाचल प्रदेश प्रशासन में अपना नाम लिखवा लिया। उनके परिवार को भी बता दिया गया कि चौहान रविवार को हिमाचल से लौटेंगे, लेकिन परिवार के सदस्यों ने प्रशासन से कहा कि अपने घर में वे उनका स्वागत नहीं करेंगे।
राजस्व अधिकारी ने बताया कि अब चौहान का एक पोता जेस्तवाड़ी गांव का प्रधान है। प्रधान पोते ने स्थानीय प्रशासन के पास आकर अनुरोध किया कि उन्हें वापस न बुलाएं। बुगना देवी ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को घर ले जाने का कोई मतलब नहीं, जिसने इतने सालों तक हमारी परवाह नहीं की। उन्होंने कहा कि मुझे तो अब उसका चेहरा भी याद नहीं। उसके घर छोड़ने के बीस साल बाद किसी ने बताया था कि उसे हिमाचल के सोलन में देखा था। परिवार के सदस्य लगातार चौहान को तलाशते रहे और उससे घर लौटने का अनुरोध करते रहे, लेकिन उसने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया और आज खाली हाथ लौटने को मजबूर हुआ है।