नेपाल ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को बताया अपना

नक्शे अपने-अपने

  • भारत ने 8 मई को लिपुलेख मार्ग का किया था उद्घाटन, नेपाल ने लिपुलेख को अपना क्षेत्र बताते हुए जताई थी आपत्ति
  • अब नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा किया जारी, जिसमें लिपुलेख और दो अन्य क्षेत्रों को बताया अपने देश का हिस्सा
  • सभी सरकारी दस्तावेज, प्रतीक चिन्हों और स्कूल-कॉलेज की किताबों में अब यही होगा नक्शा

काठमांडू। नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे को मंजूरी दे दी है। इसमें तिब्बत, चीन और नेपाल से सटी सीमा पर स्थित भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। नए नक्शे में नेपाल के उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी और पश्चिमी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को दिखाया गया है। इन सीमाओं से सटे इलाकों की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्थाओं के बारे में भी बताया गया है।
नेपाल के वित्त मंत्री युबराज खाटीवाडा ने नया नक्शा जारी करते हुए कहा कि अपडेटेड नक्शे को मंत्रिपरिषद की बैठक में रखा गया, जहां इसे मंजूरी दे दी गई। इस नक्शे को सभी सरकारी दस्तावेज में इस्तेमाल किया जाएगा। देश के प्रतीक चिन्हों पर भी अब से यही नक्शा होगा। किताबों में यही नक्शा पढ़ाया जाएगा और आम लोग भी इसका ही इस्तेमाल करेंगे।
गौरतलब है कि भारत ने 8 मई को लिपुलेख-धाराचूला मार्ग का उद्घाटन किया था। नेपाल ने इसे एकतरफा फैसला बताते हुए आपत्ति जताई थी। उसका दावा है कि महाकाली नदी के पूर्व का पूरा इलाका नेपाल की सीमा में आता है। जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि लिपुलेख हमारे सीमा क्षेत्र में आता है और लिपुलेख मार्ग से पहले भी मानसरोवर यात्रा होती रही है। हमने अब इसी रास्ते पर निर्माण कर तीर्थयात्रियों, स्थानीय लोगों और कारोबारियों के लिए आवागमन को सुगम बनाया है।
भारत ने अपना नया राजनीतिक नक्शा 2 नवम्बर 2019 को जारी किया था। इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने सर्वेक्षण विभाग के साथ मिलकर तैयार किया है। इसमें कालापानी, लिंपियधुरा और लिपुलेख इलाके को भारतीय क्षेत्र में बताया गया है। नेपाल ने उस समय भी इस पर ऐतराज जताया था।
हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने सीमा से किसी प्रकार की छेड़छाड़ से इनकार करते हुए कहा था कि नए नक्शे में नेपाल से सटी सीमा में बदलाव नहीं है। हमारा नक्शा भारत के संप्रभु क्षेत्र को दर्शाता है। गौरतलब है कि नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1816 में एंग्लो-नेपाल युद्ध के बाद सुगौली समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इसमें काली नदी को भारत और नेपाल की पश्चिमी सीमा के तौर पर दर्शाया गया है। इसी के आधार पर नेपाल लिपुलेख और अन्य तीन क्षेत्र अपने अधिकार क्षेत्र में होने का दावा करता है। हालांकि दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। दोनों  देशों के पास अपने-अपने नक्शे हैं जिसमें विवादित क्षेत्र उनके अधिकार क्षेत्र में दिखाया गया है

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