केदारनाथ का प्रसाद एफएसएसएआई प्रमाणित

देहरादून। उत्तराखंड के चारों धाम में केदारनाथ पहला धाम है, जिसका भोग एफएसएसएआइ के मानकों पर खरा उतरा है। अर्थात् केदारनाथ धाम के प्रसाद को अब भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) की मान्यता मिल गई है। इसके अलावा हरिद्वार के चंडी देवी मंदिर और गीता कुटीर तपोवन का प्रसाद भी एफएसएसएआइ प्रमाणित हो गया है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से आयोजित कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने केदारनाथ धाम और चंडी देवी मंदिर के प्रतिनिधियों को प्रमाण पत्र दिए। बता दें कि एफएसएसएआइ की ओर से ‘भगवान को पसंद स्वच्छ प्रसाद’ अभियान के तहत प्रमुख मंदिरों के भोग (भंडारे का विशेष प्रसाद) को प्रमाणित किया जा रहा है। इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रसाद स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित व स्वच्छ बन रहा है। इसमें किचन, गुणवत्तायुक्त सामग्री की उपलब्धता, उपयोग होने वाली सामग्री आदि देखी जाती है। इस मुहिम के तहत कर्मचारियों को खाद्य सुरक्षा को लेकर प्रशिक्षित भी किया जाएगा। हर साल इसका भौतिक सत्यापन होगा। कोई कमी मिलने पर उसे दूर करने का समय दिया जाएगा। यदि कमी दूर नहीं की गई तो प्रमाणपत्र रद्द किया जाएगा। केदारनाथ, चंडी देवी मंदिर, गीता कुटीर के अलावा अब राज्य के अन्य मंदिरों में भी यह प्रक्रिया अपनाई जाएगी। खाद्य सुरक्षा आयुक्त डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि जिलों को अब साप्ताहिक सैंपलिंग का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही दूध व दूध से बने खाद्य पदार्थों, तेल, मसाले आदि की कमोडिटी आधारित सैंपलिंग भी कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि खाद्य पदार्थों को लेकर नवंबर से मार्च तक विशेष सर्विलांस अभियान चलाया जाएगा। जिसमें खाद्य तेल, शहद, चाय, घी आदि के 100 सैंपल प्रतिमाह लिए जाएंगे। वहीं, राज्य की सीमाओं पर पुलिस, दुग्ध विकास व आरटीओ आदि के साथ मिलकर संयुक्त निरीक्षण की कार्रवाई की जा रही है। खाद्य सुरक्षा आयुक्त के अनुसार विभाग ने सबसे अहम कदम खाद्य पदार्थों के सैंपल की रिपोर्ट को लेकर उठाया है। विगत वर्षों में जहां रिपोर्ट आने में लंबा समय लग जाता था, अब सुनिश्चित किया गया है कि 14 दिन के भीतर रिपोर्ट आवश्यक रूप से आ जाए। 

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