- बाहरी राज्यों से तय की गई बसों से अधिक का हो रहा संचालन
- परिवहन सचिव ने किया आईएसबीटी का निरीक्षण
- यूपी से कितनी बसें आती हैं पूछने पर बगलें झांकने लगे अधिकारी
- परिवहन सचिव की फटकार पर अब आंकड़े दुरुस्त में जुटे
- बाहरी राज्यों से तय बसों का ही आ रहा टैक्स
देहरादून। उत्तराखंड परिवहन विभाग में अकसर सुनने में आता है कि घाटे में चल रहा है। अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहा है। अगर विभाग में नाकारा अधिकारी बैठे हो तो परिवहन विभाग घाटे में जाना स्वभाविक है। बाहरी राज्यों से जितनी बसों की आवाजाही तय की गई है, उससे अधिक बसें आ रही हैं। जिस कारण उत्तराखंड परिवहन विभाग को करोड़ों का चूना लग रहा है। गत दिनों परिवहन सचिव डाॅ. रंजीत सिंह सिन्हा ने आईएसबीटी का निरीक्षण किया। जब परिवहन अधिकारियों से पूछा कि यूपी से कितनी बसें आ रही हैं तो वह जवाब देने के वजाय बगलें झांकने लगे। इस पर परिवहन सचिव ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। यानी बाहरी राज्यों से किनती बसें आ रही हैं, कोई सटीक आकड़ा नहीं है। परिवहन सचिव की फटकार से अधिकारियों मंे हड़कंप मच गया है। अब विभागीय अधिकारी आंकड़े दुरुस्त करने में जुट गए हैं।
अन्य राज्यों से आने वाली बसों का भी कोई लेखाजोखा परिवहन विभाग के पास नहीं है। हाल ही में परिवहन विभाग ने पंजाब को नोटिस भी जारी किया था। बसों की सही गणना न होने से उन राज्यों से टैक्स नहीं आ पाया। केवल उन्हीं बसों का टैक्स आ रहा है, जिनका संचालन निर्धारित है। उत्तराखंड से जो रोडवेज बसें बाहरी राज्यों में आवागमन करती हैं, उनका उत्तराखंड सालाना 30 करोड़ टैक्स भुगतान करता है।