जूना अखाड़ा की दो टूक- चुनावी रैलियां बंद हों, कुंभ तो 12 साल में एक बार आता है

देश से जरूरी हैं चुनाव

  • कुंभ को लेकर सरकार-संतों के बीच चल रही हैं गुप्त बैठकें
  • मेला खत्म करने को लेकर साधु और सरकार आमने-सामने

नई दिल्ली। फिलहाल कोरोना विस्फोट को देखते हुए मोदी सरकार कुंभ मेला जल्द से जल्द खत्म कराना चाहती है, लेकिन वह यह भी नहीं चाहती कि इसके लिए कोई सरकारी निर्देश जारी किया जाए। प्रधानमंत्री  ने स्वामी अवधेशानंद गिरि से बात कर मेले को सिर्फ प्रतीकात्मक रखने की अपील की है।
मोदी सरकार की मंशा है कि साधु-संत खुद मेला खत्म होने की घोषणा करें। इस बात के प्रबंधन का जिम्मा तीरथ सरकार को दिया गया है। जो उनके लिए परेशानी का सबब बन रहा है। अब सभी अखाड़ों के साथ गोपनीय सरकारी बातचीत चल रही है, लेकिन कई अखाड़े इस बात से नाराज हैं कि शुरुआत में सरकार ने उन्हें विश्वास में नहीं लिया। कई अखाड़ों के नाराज संतों का कहना है कि मोदी सरकार दबाव डालकर कुंभ खत्म करवाने की कोशिश कर रही है। हालांकि निरंजनी और आनंद अखाड़ा ने पहले ही अपनी ओर से कुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी है। लेकिन कुछ अखाड़े समय से पहले मेला समाप्ति की बात से नाराज हैं। उनका कहना है कि मेला तय समय तक ही चलेगा।
इन साधु-संतों को मनाने के लिए उत्तराखंड सरकार पिछले दो दिनों से गुप्त बैठकें कर रही है। प्रधानमंत्री की अपील को भी इसी कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। फिलहाल अभी सभी अखाड़ों में सहमति बनती नहीं दिख रही है। सबसे ताकतवर माने जाने वाले जूना अखाड़े ने साफ कर दिया है कि वह समय से पहले कुंभ खत्म नहीं करेगा और 27 अप्रैल के शाही स्नान में अखाड़े के सभी साधु हिस्सा लेंगे।
कुंभ को समय से पहले खत्म करने की कोशिशों से कई अखाड़े नाराज हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और श्री जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री महंत हरि गिरि कहते हैं कि निरंजनी अखाड़े की ओर से कुंभ समाप्ति के ऐलान के पीछे सरकार का हाथ हैं। वह कहते हैं कि कोई एक अखाड़ा कुंभ खत्म करने की घोषणा नहीं कर सकता। महंत हरि गिरि ने कहा, ‘कुंभ खत्म होगा या आगे बढ़ेगा, इसका निर्णय सभी अखाड़ों से बातचीत के बाद ही हो सकता है।’
महंत हरि गिरि ने कहा कि ‘कुंभ एक धार्मिक आयोजन है। अखाड़े इसके आयोजक हैं। इसलिए अगर सरकार भी चाहे तो बिना अखाड़ों की सहमति के कुंभ नहीं बंद कर सकती। जूना अखाड़े के नागा साधु गजेंद्र गिरि भी महंत हरि गिरि की बात का समर्थन करते हुए कहते हैं, ’12 साल में एक बार पूर्णकुंभ होता है, चुनाव हर पांच साल में होता है। बंद करवाना है तो पहले चुनावी रैलियां बंद हों।’
निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास कहते हैं, ‘अखाड़ों को बनाने का पहला मकसद धर्म की रक्षा करना है। साधु-संतों के लिए कुंभ एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है। कुंभ पूरा होगा। 27 अप्रैल का शाही स्नान पूरा किया जाएगा।’ निरंजनी अखाड़े की कुंभ की समाप्ति की घोषणा पर उन्होंने कहा, यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है। कुंभ में 13 अखाड़े हैं। इसलिए उनके जाने से कुंभ रुकेगा नहीं।’
कोरोना के कहर के बीच कुंभ में लगातार भीड़ बढ़ती जा रही है। वहीं उत्तराखंड में एक महीने के अंदर कोरोना मरीजों के मिलने की रफ्तार में 8814% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उधर तीरथ सरकार ने चेताया है कि मेले की भीड़ अगर तुरंत कम नहीं की गई तो हालात बहुत गंभीर हो जाएंगे और अखाड़ों के शिविर कोरोना कैंप बनने में देर नहीं लगेगी। सूत्रों के मुताबिक पुलिस- प्रशासन के अधिकारी भी हाथ खड़े कर चुके हैं और सभी ने मेला खत्म करने की सलाह दी है।
बीते 15 अप्रैल को श्री पंच निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास की कोरोना से मौत हो गई थी। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी को भी कोरोना हो गया। निरंजनी अखाड़े के साधु महेंद्र गिरि ने बताया कि रविंद्रपुरी जी अखाड़े में ही आइसोलेट हैं। उनके साथ अखाड़े के 26 अन्य साधु भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा जूना अखाड़े के दो साधु कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। अलग-अलग अखाड़ों में से कम से कम 50 साधु कोरोना पॉजिटिव हैं। श्री पंच निर्वाणी में पांच साधु कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। हरिद्वार के चीफ मेडिकल ऑफिसर एसके झा कहते हैं, ‘अखाड़ों में टेस्टिंग शुरू की गई है, लेकिन साधुओं को टेस्टिंग के लिए मनाना थोड़ा कठिन है। ज्यादातर साधु टेस्टिंग से मना कर रहे हैं। टीम उन्हें मनाने में लगी है।’

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