हाथी के दांत : खाने के और दिखाने के और!

पर उपदेश कुशल बहुतेरे

  • खुद चुनावी रैलियां कर सुपर स्प्रेडर बन रहे पीएम, गृहमंत्री और मुख्यमंत्री समेत तमाम नेता
  • अगले 8 दिन में मोदी की 6, अमित शाह की 10 और ममता बनर्जी की होंगी 17 रैलियां
  • लाखों की भीड़ में बगैर मास्क के होते हैं 90% लोग,  सोशल डिस्टेंसिंग का तो जिक्र तक नहीं होता
  • चुनावी राज्यों से इतर अन्य प्रदेशों में आम लोगों को थोक के भाव में बांटे जा रहे कोरोना रोकने के टिप्स

नई दिल्ली। देश में कोरोना बेकाबू हो चुका है। रोज 2 लाख से ज्यादा संक्रमित मिल रहे। पूरा देश डरा हुआ है। मोदी समेत तमाम सरकारें भी इसके खिलाफ पूरी ताकत से लड़ाई लड़ने की बात कह रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ‘दो गज दूरी-मास्क है जरूरी’ जैसे कई नारे दे चुके हैं। लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के फायदे गिनाए जा रहे हैं। यहां तक कि कुंभ मेले को भी मात्र प्रतीकात्मक कराने की गुहार लगाई जा रही है। कोविड नियमों का पालन कराने के लिए खूब प्रचार-प्रसार हो रहा। इस पर करोड़ों रूपए खर्च भी हो रहे हैं। लेकिन जैसे ही चुनावी राज्यों की बात आती है, ये सारे नियम हवा-हवाई हो जाते हैं। ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ का यह एक नायाब उदाहरण है।
प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से लेकर विधायकों तक, सब इन नियमों को भूल जाते हैं। हम आपके सामने कुछ आंकड़े पेश करने जा रहे हैं। इसे देखकर आप खुद समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में बिगड़े हालात के लिए कौन लोग और कैसे जिम्मेदार हैं?

पश्चिम बंगाल : 1200 से 33 हजार पहुंच गया मरीजों का आंकड़ा; रैलियां फिर भी बंद नहीं हुईं। पांच राज्यों में अब केवल पश्चिम बंगाल ही बचा है जहां तीन चरणों का चुनाव बाकी है। प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रैलियां कर रहीं हैं। इन रैलियों में लाखों की भीड़ आती है। 90% लोग बगैर मास्क के होते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का तो जिक्र तक नहीं होता।
मोदी की अगले 8 दिनों के अंदर यहां 6, अमित शाह की 10 और ममता बनर्जी की 17 रैलियां होनी हैं। इनके अलावा अन्य नेताओं की सभा और बैठकों की कोई गिनती ही नहीं है। अब कोरोना का ग्राफ देख लें। 26 फरवरी को चुनाव तारीखों का ऐलान हुआ। उस दिन से लेकर आज तक कोरोना की रफ्तार 2663% बढ़ गई है। ये ग्रोथ रेट 26 फरवरी से लेकर 4 मार्च यानी 7 दिनों में मिले कोरोना के कुल आंकड़े और इस हफ्ते यानी 10 से 16 अप्रैल के बीच मिले आंकड़ों के आधार पर निकाले गए हैं। 26 फरवरी से 4 मार्च के बीच 1205 मरीज मिले थे, जबकि अभी 10 से 16 अप्रैल के बीच 33,297 मरीजों की पहचान हुई।

केरल : चुनाव खत्म होते ही कोरोना के पुराने रिकॉर्ड टूटने लगे हैं। हालांकि यहां 6 अप्रैल को चुनावी शोरगुल थम गया, लेकिन अब कोरोना का हाहाकार मचा हुआ है। जब तक यहां चुनाव था, तब तक नेताओं ने खूब रैलियां कीं। सभाओं में भारी भीड़ जुटाईं। अब इसका नतीजा आने लगा है। पिछले एक हफ्ते में यहां रिकॉर्ड 47,128 नए मरीज मिले हैं। आलम ये है कि अब यहां बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर का संकट खड़ा हो गया है। चुनाव तक न तो यहां की सरकार ने इस पर ध्यान दिया और न ही मोदी सरकार ने। नतीजा आप सबके सामने है।

तमिलनाडु : आ गया चुनावी सभाओं का नतीजा, 2 हजार से मरीज बढ़कर 44 हजार हुए। यहां चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही जमकर चुनाव प्रचार-प्रसार हो रहा था। इसके चलते 26 फरवरी से लेकर अब तक कोरोना की रफ्तार में 1450% का इजाफा हो गया। इन 6 हफ्तों में भले ही चुनाव के नतीजे नहीं आए हैं, लेकिन उसके लिए हुई रैलियों और जनसभाओं का नतीजा साफ देखने को मिल रहा है। फरवरी में हर 7 दिन में करीब 2 हजार मरीज मिलते थे, अब ये बढ़कर सीधे 44 हजार हो गए हैं।

असम : पहले एक हफ्ते में केवल 95 मरीज मिलते थे, अब करीब 3 हजार आ रहे हैं। यहां तीन चरणों में चुनाव हुए। 27 मार्च, 1 और 6 अप्रैल को लोगों ने वोट डाले। प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सबने खूब रैलियां कीं। नतीजा ये हुआ कि फरवरी में 7 दिन के अंदर जहां केवल 95 कोरोना मरीज मिल रहे थे, अब वहां एक हफ्ते में 2,982 केस आ रहे। आंकड़ों पर विश्वास करें तो लगता है कि ये अभी शुरुआत है। रैलियों में जो भीड़ पहुंची थीं, उसका असली असर तो आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा।

पुडुचेरी : कम आबादी के चलते सुरक्षित था, लेकिन चुनावी रैलियों ने इसे भी डुबा दिया। कम आबादी के चलते पुडुचेरी देश के बाकी राज्यों के मुकाबले पहले कोरोना से काफी सुरक्षित था। बहुमुश्किल 10 से 20 मामले रोज आते थे, लेकिन चुनावी रैलियों के बाद अब हर दिन 500 से ज्यादा लोग संक्रमित मिल रहे हैं। यहां कोरोना की रफ्तार में 2638% का इजाफा हुआ है। ये आलम तब है जब यहां होने वाली ज्यादातर चुनावी रैलियों में कोविड नियमों का अच्छे से लोगों को पालन करते हुए देखा गया। एक-दो सभाओं को छोड़ दें तो ज्यादातर में लोग मास्क के साथ दिखे।

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