- ‘हमारे यहां… (एक पशु) होता है वो ढैंचा-ढैंचा करता है।’ पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान खूब हो रहा वायरल
देहरादून। ‘हमारे यहां… (एक पशु) होता है वो ढैंचा-ढैंचा करता है।’ सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का यह बयान खूब वायरल हो रहा है।
उन्होंने यह यह बयान ढैंचा बीज प्रकरण पर कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बयान के संदर्भ पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया। उनके बयान को हरक पर पलटवार के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि धुरंधर सियासत दां भी नहीं समझ पा रहे हैं कि त्रिवेंद्र ने हरक और हरदा पर तंज कसा है या उनकी शान में कसीदे गढ़े हैं?
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बयानों के संदर्भ में पूछे गए सवाल पर त्रिवेंद्र ने कहा उन्हें बीच में क्यों डाला जा रहा है ये हरीश रावत और हरक सिंह का आंतरिक मामला है। उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में कहा… ‘मैं जानता हूं कि एक बहुत श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ हैं। एक श्रेष्ठ प्रोफेसर हैं। दो विद्वानों के बीच में मैं क्यों कुछ बोलूं। दोनों विद्वान उस समय पदों पर थे। कई बार एसडीएम या तहसीलदार कुछ निर्णय देते हैं, जिलाधिकारी कुछ और निर्णय दे देते हैं। उनका आपस का मामला है। दोनों जज एक ही खेमे के हैं, दोनों ने अलग अलग निर्णय दिया है, तो उसमें मैं क्या कर सकता हूं।’
उन्होंने आगे कहा… ‘हरक सिंह बहुत निर्भीक हैं। वैसे भी वह प्रोफेसर हैं। मास्टर लोगों को सीधे-सीधे बात करने की आदत होती है। वह मास्टर जी नहीं बल्कि गुरु हैं। गुरु को तो सीधी बात करनी पड़ती है। मेरे जैसे हजारों लाखों आईएएस, आईपीएस, नेता, अभिनेता न जाने क्या क्या बना दिए? उनके विद्यार्थी मजदूर से लेकर एमएलए, एमपी और मुख्यमंत्री तक बन गए। उनके बारे में मैं क्या बोलूं? वह तो बड़े हैं। प्रोफेसर हैं। हमारे यहां तो गुरु की आराधना-पूजा की जाती है। वह तो पूजनीय हैं।’
पार्टी हाईकमान से शिकायत के सवाल पर त्रिवेंद्र वीडियो में कह रहे हैं… ‘मैं कभी किसी की शिकायत नहीं करता। मैंने आज तक किसी की शिकायत नहीं की। मैं शिकायत करने में विश्वास नहीं रखता हूं। मैं उसका समाधान ढूंढता हूं। मेरी कोशिश होती है कि समाधान निकल जाए। हर चीज का समाधान होता है।’
हरीश व हरक के बयान के बारे में उन्होंने कहा कि इस बारे राजनीतिक पंडित ही अच्छी तरह बता सकते हैं। मैं तो साधारण कार्यकर्ता हूं। साफ बोलता हूं। कई बार किसी को मेरी बात खराब भी लगती है। मैं यह सोचता हूं कि जब आगे समय आएगा और मेरी बात का मूल्यांकन किया जाएगा तो हो सकता है कि मेरी बात सही लगे। मैं साफ बोलने में ज्यादा विश्वास करता हूं। मैं कोई राजनीतिक धुरंधर नहीं हूं। मैंने केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काम किया या भारतीय जनता पार्टी में। मुझे राजनीतिक दलों का अनुभव नहीं है। मैं तो सीधा सपाट एक लाइन में चल रहा हूं।
इस बाबत पूछने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा, मुझे नहीं मालूम कि किस संदर्भ में ये बात कही गई है। पूरी जानकारी के बाद ही मैं कुछ कह पाऊंगा।