अब देवभूमि को खल रहा त्रिवेंद्र का ‘जाना’
- बार बार नेतृत्व परिवर्तन के साथ ही अन्य कारणों से सिरे नहीं चढ़ पा रहीं ये परियोजनायें
- इनमें से एक भी परियोजना के लिए वित्तीय एजेंसी से फंडिंग की नहीं मिली अंतिम मंजूरी
देहरादून। उत्तराखंड में आठ बड़ी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को फंडिंग का इंतजार है। वाह्य सहायतित योजनाओं के तहत 9499 करोड़ की लागत की इन परियोजनाओं के लिए मोदी सरकार आर्थिक मदद देने नहीं जा रही है और राज्य सरकार अपने बलबूते अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों से फंड जुटाने की कोशिश में जुटी है। हालांकि राज्य में बार-बार नेतृत्व परिवर्तन और कोरोना महामारी के चलते फंड जुटाने की कोशिशें परवान नहीं चढ़ पा रही हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के दूरगामी हितों, विकास और युवाओं के लिये रोजगार उपलब्ध कराने के मद्देनजर जमरानी बांध परियोजना, देहरादून और मसूरी बीच परिवहन अवस्थापना विकास, बागवानी विकास, राज्य के 16 आबादी बहुल नगरों में अवस्थापना विकास, टिहरी बांध और उसके जलागम क्षेत्र में विकास कार्यों समेत आठ महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के प्रस्ताव केंद्र सरकार की वाह्य सहायतित योजना के तहत भेजे थे। लेकिन कोरोना के चलते केंद्र ने इसे तवज्जो नहीं दी। रही-सही कसर राज्य में हुए नेतृत्व परिवर्तन ने पूरी कर दी। मुख्यमंत्री बदलने का असर सरकार की प्राथमिकताओं पर पड़ा।
हालांकि इनमें से कुछ प्रोजेक्टों पर वित्तीय एजेंसियों की पूर्व में ही सैद्धांतिक मंजूरी तक मिल चुकी है। अभी तक आठ में से एक भी परियोजना के लिए वित्तीय एजेंसी से फंडिंग की अंतिम मंजूरी नहीं मिल सकी है। अब चुनावी साल में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फंडिंग के लिए कसरत तेज कर दी है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग से प्रोजेक्टों की पैरवी के लिए राज्य सरकार की ओर से लगातार पत्र भेजे जा रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार की ओर से इन प्रोजेक्टों के लिए विदेशी वित्तीय एजेंसियों से फंड जुटाने का प्रयास हो रहा था। इनमें से कुछ परियोजनाओं के लिए सैद्धांतिक सहमति प्राप्त भी हो गई, लेकिन कोरोना महामारी के चलते ये अहम प्रोजेक्ट लटक गये। कोविड संक्रमण के चरम दौर में मुख्यमंत्री बने तीरथ सरकार का पूरा ध्यान कोविड से निपटने और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर रहा। अब पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं और उन पर छह महीने के भीतर परफॉर्मेंस का दबाव है। ऐसे में वाह्य सहायतित योजनाओं के लिए फंडिंग जुटाने को सरकार ने फिर से कोशिशें तेज कर दी हैं। लेकिन यदि कुछ परियोजनाओं के लिए फंडिंग जुटा भी ली गई तो उनकी वर्तमान सरकार में उनकी नींव ही रखी जा सकेगी।
गौरतलब है कि वाह्य सहायतित योजनाओं वाले प्रोजेक्टों के लिए फंडिंग में देरी की एक वजह पड़ोसी देश चीन के साथ आर्थिक मामलों की नीति में नए बदलाव भी माना जा रहा है। राज्य सरकार ने एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) से तीन बड़े प्रोजेक्टों के लिए फंडिंग के प्रस्ताव भेजे थे। इस अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एजेंसी का मुख्यालय बीजिंग में है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को एआईआईबी से इतर दूसरी वित्तीय एजेंसी के लिए प्रस्ताव भेजने को कहा। राज्य सरकार ने फिर से नई एजेंसियों के प्रस्ताव भेजे। इसमें काफी समय जाया हुआ।
हालांकि सियासी जानकारों का मानना है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के उत्तराखंड के दूरगामी हितों और विकास के लिये मील के पत्थर इन आठों प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश सरकार यदि फंडिंग जुटा लेती तो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए उसके पास अच्छा मुद्दा होता। इस बारे में पुष्टि करते हुए अपर मुख्य सचिव (नियोजन) मनीषा पंवार ने कहा कि कुछ परियोजनाओं पर वित्तीय एजेंसियों की सैद्धांतिक सहमति मिली है। आर्थिक मामलों के विभाग से पत्राचार चल रहा है। केंद्र सरकार ने कहा था कि वैकल्पिक एजेंसी के लिए प्रस्ताव भेजें। इस बाबत डीईए को लगातार लिखा जा रहा है।
ये हैं त्रिवेंद्र के आठ बड़े प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट लागत करोड़ में
- जमरानी बहुउद्देश्यीय पेयजल – 2584
- देहरादून-मसूरी परिवहन अवस्थापना – 1461
- एकीकृत बागवानी विकास – 251
- 16 नगरों में अवस्थापना विकास – 1300
- टिहरी और जलागम क्षेत्र का विकास – 1200
- हरित विकास प्रबंधन में नवाचार – 950
- उत्तराखंड शहरी जल आपूर्ति – 1000
- ऊर्जा पारेषण सुदृढ़ीकरण व वितरण सुधार – 753
- कुल लागत – 9499