देहरादून। राजधानी में सड़क के विस्तारीकरण के लिए हरे-भरे हजारों पेड़ों को काटे जाने के विरोध में आज तमाम पर्यावरण संरक्षण संगठनों ने चिपको आंदोलन किया।गौरतलब है कि जोगीवाला से सहस्त्रधारा चौराहे तक रिंग रोड का विस्तारीकरण होना है और इसकी जद में हजारों पेड़ आ गये हैं। हालांकि अभी पेड़ काटने का काम शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन उससे पहले ही पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले तमाम सामाजिक संगठन पेड़ों के काटे जाने के विरोध में उतर आए हैं। पर्यावरणविदों, सामाजिक संगठनों के साथ ही सोशल मीडिया में भी हरे-भरे पेड़ों की जिंदगी बचाने को लेकर मुहिम शुरू हो गई है।इसी क्रम में आज रविवार को पर्यावरणविदों और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने एक और चिपको आंदोलन की शुरुआत की। उन्होंने पेड़ों को मौली बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं सिटीजन फॉर ग्रीन दून, मैड अबाउट दून, डू नॉट ट्रैश, तितली ट्रस्ट, फ्रेंड ऑफ द दून, आईडील जैसी संस्थाओं के पदाधिकारी, सदस्य खलंगा स्मारक पर इकट्ठा हुए और चिपको आंदोलन की शुरुआत की।पर्यावरण को तहस-नहस करके विकास नहीं किया जा सकतासिटीजन फॉर ग्रीन दून की कोर मेंबर जया सिंह का कहना है कि विकास जरूरी है, लेकिन पर्यावरण को तहस-नहस करके विकास नहीं किया जा सकता है। रिंग रोड के विस्तारीकरण को लेकर 2200 पेड़ों को काटा जाना है जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है। इतनी अधिक संख्या में पेड़ों के काटे जाने से इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जिस रोड का विस्तारीकरण किया जाना है, उसकी आवश्यकता ही नहीं है। वर्तमान में जो सड़क है वह यातायात के दबाव को सहन के लिए काफी है, लेकिन सरकार और शासन में बैठे आला अधिकारी सड़क का विस्तारीकरण करके पेड़ों को काटकर पर्यावरण को तहस नहस करना चाहते हैं। जो किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।जया सिंह ने कहा कि आंदोलन के तहत तमाम पर्यावरणविद और कार्यकर्ताओं ने इको फ्रेंडली पोस्टर बैनर के साथ प्रदर्शन किया और पेड़ों में मौली बांधकर उनकी रक्षा का संकल्प लिया। इस बाबत उप प्रभागीय वन अधिकारी मसूरी सुभाष वर्मा का कहना है कि जोगीवाला से सहस्त्रधारा चौराहे तक रिंग रोड का विस्तारीकरण किया जाना है। जिसके लिए पीडब्ल्यूडी की ओर से इन पेड़ों को भी चिन्हित किया गया है। जो विस्तारीकरण की जद में हैं, लेकिन अभी तक इन पेड़ों को काटे जाने के संबंध में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। इस बाबत जो भी दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
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