कर्ज की रकम से ब्याज भर रही उत्तराखंड सरकार!

सिस्टम पर सवाल

  • प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद से अब तक लिया करीब 29 हजार 168 करोड़ का कर्जा
  • वर्ष 2005 से 2020 तक नहीं दिया जा सका है 42 हजार करोड़ की धनराशि का हिसाब

देहरादून। उत्तराखंड की भाजपा सरकार कर्ज लेकर ब्याज भर रही है। कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सरकार कर्ज लेकर इसका इस्तेमाल कर्ज और इसका ब्याज चुकाने में भी खर्च कर रही है।
विधानसभा में सरकार ने कैग की रिपोर्ट पटल पर रखी तो उत्तराखंड की बदहाल आर्थिक स्थिति ने आईना दिखा दिया। कैग के अनुसार राज्य सरकार कर्ज के ब्याज को चुकाने में कर्ज की 60 फीसद रकम खर्च कर देती है। नया कर्ज पुरानी देनदारियों को चुकाने में खर्च होने के कारण उस कर्ज का सही लाभ राज्य को नहीं मिल पा रहा है।राज्य पर कर्ज का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद से अब तक करीब 29 हजार 168 करोड़ का कर्जा लिया गया, जिसमें बड़ी रकम कर्ज के ब्याज पर ही भुगतान कर दी गई। इस बीच राज्य सरकार न तो राजस्व के नए रिसोर्सेस बड़ी मात्रा में खड़े कर पाई है और न ही इतने बड़े कर्ज को चुकाने के लिए सरकार के पास कोई प्लान है।
बड़ी बात यह है कि 2005 से 2020 तक 42 हजार करोड़ की धनराशि का हिसाब तक नहीं दिया जा सका है। दरअसल, साल के अंत तक अगर विनियोग से अधिक की धनराशि खर्च की जाती है तो लोक लेखा समिति की सिफारिश के आधार पर इस राशि को नियमित किया जाता है, जिसे नियमित नहीं कराए जाने की बात कही गई है। दूसरी ओर कई योजनाएं केवल इसलिए लटकी है. क्योंकि इस पर समय से बजट उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। इन सभी स्थितियों को कैग ने गंभीर माना है।
हालांकि इन सभी स्थितियों के बावजूद भाजपा सरकार प्रदेश में वित्तीय हालात पर कर्ज को लेकर जो चिंता जाहिर की जा रही है, उसे नकार रही है। कैग की रिपोर्ट में प्रदेश के इन वित्तीय हालातों को लेकर जताई गई चिंता और गलत वित्तीय प्रबंधन पर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए हैं।
इस बाबत कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि कांग्रेस समेत तमाम सरकारों में करीब 50,000 करोड़ तक का कर्जा था, लेकिन भाजपा की 5 साल की सरकार में अब तक 30 हजार करोड़ तक का कर्जा प्रदेश पर लाद दिया गया, जबकि सरकार इस कर्जे का फायदा भी नहीं ले पा रही है। उसका विकास में कोई फायदा नहीं लिया जा पा रहा है।

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