पैसा कमाने घर से निकला किशोर और 45 साल की उम्र में याद आया घर का पता!

  • 30 साल बाद घर लौटे बेटे को देखकर फूट फूट कर रोई मां, बेहद दुखभरी है दास्तान

बागेश्वर। जिले में एक मां का 30 साल से लापता बेटे को मां ने अपने सामने खड़ा देखा तो बरसों का वेदना आंसुओं की धारा के रूप फूट पड़ी। बेटे को गले लगाकर घंटों फूट फूटकर रोती रही। कुछ ऐसी ही हालत बेटे की भी थी। बेटे को लाने वाली टीम को बुजुर्ग मां ने भर भर कर आशीर्वाद दिया। 30 साल बाद घर लाैटने का अहसास उस बेटे और मां के सिवा कौन समझ सकता है। आखिर जिंदगी की आधी उम्र बेटे की कहां गुजरी, बहुत दुखभरी दास्तान है…
मिली जानकारी के अनुसार जिले के दुग नाकुरी तहसील के सुरकाली गांव निवासी दिनेश पुत्र गोविंद गिरि ने 15 साल की उम्र में घर माली हालत सुधारने की मंसा से बाहर जाकर पैसा कमाने की ठानी। सोचा था कि बाहर जाकर कुछ नौकरी या रोजगार करेगा तो घर की गरीबी दूर हो जाएगी। 1992 में घर से नौकरी करने निकल गया। उसके घर से निकलने और तब से कोई खबर न आने से घर वालों का शायद ही ऐसा कोई दिन गुजरा हो जब उन्होंने उसे याद न किया हो। उन्हें यकीन था बेटा जरूर लौटेगा।  
दिनेश के साथ आई टीम ने बताया कि 19 जून 2021 में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले से दिनेश को स्नेह मनोयात्री पुनर्वसन केंद्र अहमदनगर की टीम ने रेस्क्यू किया। वह सड़क पर बदहवास हालत में मिला था। मनोचिकित्सक डॉ. नीरज करंदीकर की देखरेख में उसका उपचार शुरू हुआ। यहां से दिनेश को ‘अपना घर’ आश्रम, दिल्ली में शिफ्ट किया गया। जहां पर श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन के ट्रस्टी और रैमन मैग्सेसे अवार्डी डॉ. भरत वाटवानी के अधीन उसका मानसिक उपचार हुआ। वहां के सोशल वर्कर नितिन और मुकुल ने दिनेश की काउंसलिंग की। जब दिनेश को कुछ सुध आई तो उसने अपना नाम, पता बताया।
श्रद्धा फाउंडेशन संस्था से जुड़े बरेली के मनोवैज्ञानिक शैलेश कुमार शर्मा और विधि अर्पिता सक्सेना दिनेश को लेकर उसके घर पहुंचे तो गांव वालों का हुजूम उमड़ पड़ा। परिजनों ने टीम का आभार जताया। टीम ने बताया कि वह मानसिक रूप से परेशान था। संस्था उसका उपचार कर रही है। 

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