उत्तराखंड@25 : मसूरी में चिंतन शिविर में धामी ने दिये टिप्स

मसूरी। उत्तराखंड को 2025 तक अग्रणी राज्यों में शामिल करने के लिए धामी सरकार ने आज मंगलवार से चिंतन शिविर शुरू किया। यह चिंतन शिविर मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के अकादमी के सरदार पटेल सभागार में हो रहा है। शिविर में सीएम पुष्कर सिंह धामी, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, राज्य सरकार के सचिव, विभागाध्यक्ष सहित तमाम उच्च अधिकारियों ने शिरकत कर रहे हैं। राज्य के विकास का रोडमैप तैयार करने के लिए सरकार का यह पहला चिंतन शिविर है।
इस मौके पर धामी ने तमाम नौकरशाहों और अफसरों को टिप्स देते हुए कहा कि चिंतन शिविर से जो अमृत निकलेगा उससे हमारा उत्तराखंड जरूर आगे बढ़ेगा। साथ ही सभी को चिंतन के साथ चिंता भी करनी होगी कि उत्तराखंड हमारा श्रेष्ठ राज्य बने। 2025 तक उत्तराखंड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के लिए सरकार तेजी से काम कर रही है। शिविर में उत्तराखंड के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर चर्चा की जाएगी। राज्य पांच से दस सालों में आगे बढ़े, इसका रोडमैप तैयार किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि किस प्रकार राज्य की अर्थव्यवस्था आगे बढ़े और लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए तेजी से सरकार काम कर रही। हमारे मंत्रियों और अधिकारियों का जगह-जगह प्रवास हो, दूर दराज के इलाकों में सभी लोग प्रवास कर लोगों की समस्याओं का समाधान हो।
पुष्कर ने कहा कि पुराने समय में विकास का मॉडल लखनऊ में बनकर तैयार होता था और वहीं से योजनाएं बनती थी। अब केवल देहरादून में रहकर योजनाएं नहीं बने बल्कि सीमावर्ती क्षेत्र में बने और इसके लिए सबकी जवाबदेही तय हो। मूल्यांकन इस बात पर हो कि कितने रिजल्ट निकले हैं, किसने परफॉर्म किया, कितना अच्छा कार्य किया और किसने आउटपुट दिया।
धामी ने कहा कि इस चिंतन शिविर के आयोजन को लेकर हम बहुत दिनों से सोच रहे थे। इन तीन दिनों तक हमें चिंतन के साथ चिंता भी करनी है कि प्रदेश का विकास कैसे हो? भगवान ने आप सभी को बहुत विशिष्ट बनाया है। आईएएस हमारे देश की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा है और आप देश-प्रदेश की नीतियों को तय करते हैं।
पुष्कर ने कहा कि हमें चीजों को नोट करने की आदत डालनी चाहिए। एक दिन में हमारे अंदर हजारों विचार आते हैं। ऐसे में हर चीज याद नहीं रखी जा सकती। उन्होंने कहा कि आप के लिए कोई काम मुश्किल नहीं है। मैंने महसूस किया है कि विभाग अपनी जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालने की कोशिश करते हैं, इस प्रवृत्ति को हमें त्यागना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने सरलीकरण का मंत्र दिया है। हमें यह सोचना होगा कि कितने विभागों ने कार्य का सरलीकरण किया। प्रक्रियाओं सरलीकरण कर के समाधान का रास्ता निकलना है ।उन्होंने कहा कि आज पूरी सरकार यहां है। इन तीन दिनों में यहां मन से चिंतन करना होगा। मैं ज्यादा से ज्यादा जनता के बीच रहने की कोशिश करता हूं। अभी कुछ दिनों से आदत बनाई है कि जिलों में भ्रमण के दौरान सुबह 6 से 8 बजे तक लोगों से बात करता हूँ और फीडबैक लेता रहता हूं और इस दौरान सबके बारे में पता चलता रहता है।
मुख्यमंत्री ने कहा, देखने में आता है कि कई अधिकारी फ़ाइल को ठीक से आगे नहीं बढ़ाते। ये आदर्श स्थिति नहीं है। कई दफा हम अपने स्तर से फैसले नहीं लेते। फ़ाइल नीचे से चलते हुए कई बार मेरे पास तक आ जाती है जिस पर सभी की एक ही टिप्पणी होती है कि उच्च अनुमोदन हेतु प्रेषित। जबकि जरूरत यह है कि हम अपना निर्णय भी उस पर लिखें। उन्होंने कहा कि हमारी जो काम करने की प्रणाली है। इसमें बदलाव की जरूरत है। हमें बेस्ट प्रैक्टिस करने की आदत डालनी होगी और 10 से 5 वाले कल्चर से बाहर आना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें सरलीकरण, समाधान और संतुष्टिकरण के मंत्र पर कार्य करना होगा। हमारा फ़ोकस समाधान पर होना चाहिए। एसीआर भरे जाने के समय यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जो टास्क दिया गया था वो हुआ या नहीं।हम इस कार्य को इसी वर्ष से प्रारम्भ करेंगे।
धामी ने कहा, अभी यह आम धारणा है कि जो योजना हम बनाते हैं वो योजनाएं देहरादून बेस्ड बन रही हैं। हमें पर्वतीय जिलों को विकास के खाके में शामिल करना ही होगा। राज्य की हक में जिन ज़िलों योगदान कम है, उनके लिए योजनाएँ बनाई जानी चाहिए। वर्तमान में केंद्र सरकार-नीति आयोग आदि सब हमें सहयोग करने को तैयार हैं। हिमाचल और हमारी जलवायु बहुत मिलती जुलती है, लेकिन हमें यह मंथन करना होगा कि कैसे वे बागवानी के क्षेत्र में हमसे बेहतर कर रहे हैं। हमारी स्थिति हिमाचल से बेहतर है। हम बाग़वानी को कैसे बढ़ायें। इस पर कार्यवाही होनी चाहिए आने वाले दिनों में देहरादून और आसपास के इलाके पहले से कहीं ज्यादा कंजस्टेड हो जाएंगे। हमें उसके अनुरूप सुविधाओं को विकसित करना होगा। स्मार्ट सिटी को लेकर शिकायतें आती हैं। इसको ठीक करना है। हम यह नहीं कह सकते यह काम हमारे समय का नहीं है। अच्छा ख़राब जो भी है, अब यह हमारी ज़िम्मेदारी है। इसको ठीक करना है।
उन्होंने कहा कि हमारा चिंतन व्यवहारिक होना चाहिए। प्रदेश के हित में होना चाहिए। वर्ष 2025 तक केवल श्रेष्ठ राज्य की बात कहकर कुछ नहीं होने वाला बल्कि इसे हमको करके दिखाना है। हमें 2025 तक एक सशक्त उत्तराखंड बनाना है। हमें विकास की योजनाएं अपने भूगोल के अनुसार बनानी होंगी। हमें कहाँ जाना है? हम कहाँ पर हैं? रुकावट क्या है? अगर हम यह समझ पाए तो समस्या का समाधान आसान हो जाता है। उन्होंने कहा कि घोषणा सुनियोजित होनी चाहिए। यह धारणा बदलनी चाहिए कि सरकार में काम नहीं होते। काम करने का रास्ता निकाला जाना चाहिए। हम नहीं बल्कि हमारा काम बोलना चाहिए। हमें अपने काम को मन-वचन-कर्म से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी का काल खंड उसके द्वारा किए गए कामों के लिए जाना जाएगा।

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