नारायणबगड़ : आदमखोर गुलदार को मारने गैरबारम पहुंचे दो शिकारी

शिकारी लखपत सिंह रावत
  • दोनों शिकारियों लखपत सिंह रावत और ज्वाॅय वकील ने आज बुधवार को घटनास्थल का किया निरीक्षण

थराली से हरेंद्र बिष्ट
विकासखंड नारायणबगड़ के अंतर्गत गैरबारम गाँव सहित आसपास के तमाम गांवों के लोगों की दूसरी रात भी गुलदार की दहशत के साये में कटी। हालांकि वन विभाग से ग्रामीणों की हिफाजत के लिए गुलदार को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के अनुरोध के बाद दो प्रख्यात शिकारियों के पहुंच जाने के बाद क्षेत्र के लोगों ने कुछ राहत की सांस ली है।
गौरतलब है कि बीते सोमवार को गैरबारम में 11 वर्षीया मासूम बालिका को आदमखोर गुलदार सांय करीब 7 बजे घर के पास से उठाकर ले गया था और कुछ दूर खेतों के पास ही उसका अधखाया शव मिला था। मंगलवार की ही देर सांय उसके शव का गमगीन माहौल के बीच दाह संस्कार कर दिया। सोमवार की शाम की वारदात का असर मंगलवार की शाम को भी देखने को मिला। गैरबारम,मलतुरा गांव सहित आसपास के तमाम अन्य गांव से आज बुधवार को मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को शाम ढ़लते ही लोग अपने घरों में दुबक गए। जबकि छोटे बच्चों को तो दिन ढलने से काफी पहले ही घरों के अंदर कैद कर दिया गया। खेतों में भी महिलाएं अकले जाने से बचती रही। जरूरी काम पड़ने पर लोग झुंडों में ही खेतों में आ- जा रहे हैं।
आदमखोर गुलदार द्वारा एक माह के अंदर दो बच्चों को अपना निवाला बना देने के बाद इस क्षेत्र में गुलदार की दहशत बनी हुई है। बदरीनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर के प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष सिंह की सिफारिश पर मंगलवार की देर सांय ही प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव/मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजीव भस्तरी ने गुलदार को आदमखोर घोषित कर पकड़ने, मारने के लिए एक माह तक का समय देते हुए आदेश जारी कर दिए हैं।
डीएफओ आशुतोष सिंह ने बताया कि पीड़ित परिवार को मंगलवार को ही 90 हजार रुपए का चेक दें दिया गया हैं। अवशेष 2 लाख 10 हजार रुपए जल्द ही दे दिए जाएंगे। डीएफओ ने बताया कि 29 मई को मलतुरा में गुलदार के द्वारा मारे गए 4 वर्षीय बच्चे रमेश के पिता प्रेम बहादुर को 90 हजार रुपए पहले ही दिए जा चुके हैं। जबकि शेष राशि के लिए प्रक्रिया गतिमान है।
उन्होंने बताया कि दोनों शिकारी लखपत सिंह रावत गैरसैंण से एवं ज्वाॅय वकील पौड़ी से अपने एक-एक सहयोगी के साथ मंगलवार की देर शाम ही गैरबारम पहुंच गए थे। बुधवार को दोनों ही शिकारियों ने घटनास्थल व उसके आसपास के इलाकों का गहन निरीक्षण कर वन विभाग के स्थानीय कार्मिकों को जानकारी प्राप्त की। बताया कि मलतुरा में पहले से ही दो पिंजरे लगाए गये हैं। उनमें से एक को गैरबारम गांव में लगा दिया गया है।

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