कपड़े के ऊपर से ब्रेस्ट छूना यौन अपराध नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले पर लगाई रोक

  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट ने कहा था कि स्किन टु स्किन टच नहीं हो तो अपराध पॉक्सो ऐक्ट के दायरे में नहीं आता


नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी थी जिसमें उसने एक नाबालिग लड़की के वक्षस्थल (ब्रेस्ट) को बिना स्किन टू स्किन टच के छूने के अपराध को पॉक्सो ऐक्ट के दायरे से बाहर बताया था। यूथ बार एसोसिएशन में बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट के इस फैसले पर विवाद छिड़ गया था। नागरिक संगठनों एवं कई जानी-मानी हस्तियों ने इसे हास्यास्पद बताकर फैसले की आलोचना की थी।
उल्लेखनीय है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12 वर्ष की एक नाबालिग के साथ हुए इस अपराध के मुकदमे की सुनवाई में कहा था कि बच्ची को निर्वस्त्र किए बिना, उसके वक्षस्थल (ब्रेस्ट) को छूना यौन हमला नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह की हरकत पॉक्सो ऐक्ट के तहत यौन हमले के रूप में परिभाषित नहीं की जा सकती। हालांकि ऐसे आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (शीलभंग) के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट की नागपुर बेंच की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को पारित एक आदेश में कहा कि किसी हरकत को यौन हमला माने जाने के लिए ‘गंदी मंशा से त्वचा से त्वचा (स्किन टू स्किन) का संपर्क होना’ जरूरी है। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि महज छूना भर यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता है। न्यायमूर्ति गनेडीवाला ने एक सेशन्स कोर्ट के फैसले में संशोधन किया जिसने 12 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न करने के लिए 39 वर्षीय व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here