- सुप्रीम कोर्ट ने कोविड डेथ सर्टिफिकेट और मुआवजे में देरी को लेकर मोदी सरकार को फटकारा
- कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए केरल में 6 सितंबर से 11वीं की परीक्षा कराने पर लगाई रोक
नई दिल्ली। देशभर में कोरोना वायरस से जान गंवाने वालों के परिवारों को डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के लिए गाइडलाइन तैयार करने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को मोदी सरकार को फटकार लगाई। जस्टिस एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की डबल बेंच ने केंद्र को 11 सितंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
बेंच ने कहा कि हमने बहुत समय पहले आदेश जारी किया था और एक बार समय भी बढ़ा चुके हैं। जब तक आप गाइडलाइन तैयार करेंगे, तब तक तीसरी लहर भी खत्म हो जाएगी। 30 जून को जारी आदेश में कोर्ट ने कहा था कि मौत का सही कारण कोविड-19 से हुई मृत्यु के रूप में बताना चाहिए, ताकि मृतक पर निर्भर लोगों को सक्षम बनाया जा सके। उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया कि हमें खेद है कि हम हलफनामा दाखिल नहीं कर पाए। अदालत 10 दिन का और समय दे, क्योंकि इस मुद्दे पर सरकार लगातार एक्सपर्ट्स से चर्चा कर रही है, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया और इस दिशा में अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी 11 सितंबर को देने को कहा।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केरल में 6 सितंबर से 11वीं कक्षा की परीक्षा फिजिकल तौर पर कराने के राज्य सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है। राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए अदालत ने यह फैसला लिया। कोर्ट का कहना है कि कोरोना मामलों में लगातार बढ़ोतरी के कारण केरल की स्थिति चिंताजनक है। कम उम्र के बच्चों को जोखिम में नहीं डाला जा सकता, क्योंकि राज्य में हर दिन करीब 35 हजार मामले सामने आ रहे हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी।