भारत का नहीं है कोई राष्ट्रीय खेल!

आजादी के 75 साल बाद भी नहीं मिली मान्यता

  • 1928 से 1956 तक रहा भारतीय हॉकी का स्वर्णकाल
  • हॉकी आधिकारिक रूप से नहीं मान्य
  • टोक्यो ओलंपिक के बाद उठी आवाज सुप्रीम कोर्ट ने भी ठुकराई याचिका
  • फिर कैसे करें अधिक पदकों की उम्मीद

नई दिल्ली। जिस देश का अपना राष्ट्रीय खेल पूर्ण रूप से घोषित न होए उस देश के खिलाडि़यों से अधिक पदकों की उम्मीद करना बेइमानी है। जी हां भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं। हॉकी के खेल को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय खेल की मान्यता नहीं है। दरअसलए 1928 से 1956 तक का समय भारतीय हॉकी के लिए स्वर्णकाल कहा जाता है। 1928 में भारत हॉकी का विश्व विजेता बना था। इसके बाद ओलंपिक में भारत ने हॉकी में कई 6 स्वर्ण पदक अपने नाम किए। इसके बाद से हॉकी की लोकप्रियता ऐसी बढ़ी कि इसे भारत का राष्ट्रीय खेल कहा जाने लगा। लेकिन अब तक सरकार ने हॉकी को स्वर्णिम युग कहा जाने लगा। खेल प्रेमी हॉकी को राष्ट्रीय खेल करने लगे। हॉकी और मीडिया की लगभग एक ही स्थिति है। मीडिया को भी आधिकारिक रूप से चौथे स्तंभ की मान्यता नहीं है।
अब टोक्यो ओलंपिक में महिला और पुरुष हॉकी टीम के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद हॉकी को अधिकारिक रूप से राष्ट्रीय खेल घोषित किए जाने की मांग उठने लगी है। इसको लेकर वकील विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले वकील से कहा है कि आपका उद्देश्य अच्छा हो सकता हैए लेकिन हम इस मामले में कुछ नहीं कर सकते न ही ऐसा ओदश दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि आप चाहें तो सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं।

एथलेटिक्स में सुविधाएं बढ़ाने की भी थी मांग : याचिक दाखिल करने वाले वकील विशाल तिवारी ने मांग की थी कि एथेलेटिक्स जैसे खेलों में सुविधाएं बढ़ाई जाएं और हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित किया जाए। याचिका में कहा गया था कि हॉकी को राष्ट्रीय खेल के रूप में जाना तो जाता ही हैए लेकिन उसे अभी तक आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय खेल घोषित नहीं किया गया है। हॉकी भारत का गौरव हैएजो अपनी पहचान खोता जा रहा है।

कैसे मिलती है राष्ट्रीय खेल की मान्यता : किसी खेल को राष्ट्रीय खेल बनाने का निर्णय वहां की सरकार द्वारा ही लिया जाता है। हालांकि सरकार किसी खेल को राष्ट्रीय खेल घोषित करने के पहले उस खेल के इतिहास को देखती है तथा यह भी देखती है कि उस खेल ने देश का नाम कितना गौरवान्वित किया है।

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