स्वामी और प्रियंका ने पांच ट्रिलियन इकोनॉमी पर उठाए सवाल!

खतरे की घंटी
  • सुब्रमण्यम बोले, केवल साहस या ज्ञान चरमराती अर्थव्यवस्था नहीं बचा सकते, इसके लिए दोनों की जरूरत, आज हमारे पास दोनों में से कुछ नहीं है
  • जीडीपी और नौकरियों को लेकर प्रियंका गांधी ने कसा तंज, अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंक्चर की

नई दिल्ली। अपने बयानों के लिये चर्चित भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने नई आर्थिक नीति पर सवाल उठाए हैं। 
उन्होंने आज शनिवार को कहा कि यदि नई आर्थिक नीति नहीं लाई जाती है तो भारत के लिए पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल है। ऐसे में उसे गुडबाय कहने के लिये आप तैयार रहें। उधर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर निशाना साधा। आर्थिक संकट को लेकर प्रियंका ने ट्वीट कर कहा कि जीडीपी विकास दर से साफ है कि अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंक्चर कर दी है। उन्होंने आगे लिखा कि न जीडीपी ग्रोथ है, न रुपए की मजबूती और रोजगार गायब हैं। 
प्रियंका ने सरकार से सवाल पूछने के लहजे में कहा कि अब तो साफ करो कि अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देने की ये किसकी करतूत है? दरअसल, उनका निशाना भाजपा के उस दावे की तरफ था जिसमें मोदी और अन्य भाजपा नेता मौजूदा संकट के लिए कांग्रेस की पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराती रहे हैं। 
उधर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब एक दिन पहले ही 2019-20 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी की वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत रह गई है। यह पिछले छह सालों में सबसे कम है। स्वामी ने ट्वीट कर लिखा, ‘यदि कोई नई आर्थिक नीति नहीं लाई जाती है तो पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को गुडबाय कहने के लिए तैयार हो जाइये। अकेले केवल साहस या केवल ज्ञान चरमराती अर्थव्यवस्था को नहीं बचा सकते हैं। इसके लिए दोनों की जरूरत है। आज हमारे पास दोनों में से कुछ नहीं है।’
संसद में जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया था तो उन्होंने देश के सामने पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लक्ष्य रखा था। प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि यदि हम सब मिलकर काम करेंगे तो यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इसी लक्ष्य पर स्वामी ने ट्वीट करके इसे गुडबाय कहने को तैयार रहने के लिए कहा है। 
मंदी का असर सबसे ज्यादा जिन क्षेत्रों पर पड़ा है उसमें ऑटोमोबाइल, मैन्युफैक्चरिंग और रीयल एस्टेट शामिल है। हालांकि, मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने शुक्रवार को कहा कि सरकार आर्थिक विस्तार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। 
आपको बता दें कि एक दिन पहले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक आर्थिक विकास दर घटकर महज पांच फीसदी रह गई है, जो साढ़े छह वर्षों का निचला स्तर है। वहीं, पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में आर्थिक विकास की दर 5.8 फीसदी रही थी। चिंताजनक बात यह है कि आर्थिक विकास दर में गिरावट के बाद भारत से दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा छिन गया है। 
पहली तिमाही में देश की वृद्धि दर चीन से भी नीचे रही है। अप्रैल-जून तिमाही में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत रही जो उसके 27 साल के इतिहास में सबसे कम रही है। देश में घरेलू मांग में गिरावट तथा निवेश की स्थिति अच्छी नहीं रहने से पहले से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि जून तिमाही में विकास दर का आंकड़ा पहले से ज्यादा बदतर रहेगा। उधर आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार निवेश पर ध्यान नहीं देती है तो अर्थव्यस्था को संभालना मुश्किल हो जाएगा। पिछले कुछ महीनों से कमजोर मांग और निवेश की कमी के कारण मुख्य उद्योगों की वृद्धि में मंदी दिखाई दे रही है।

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