सिडकुल घोटाला : जांच में भी अड़ंगा लगा रहे जनाबे आली!

  • एसआईटी जांच में हुआ खुलासा, ब्लैक लिस्टेड यूपी निर्माण निगम को दिए करोड़ों के काम
  • सरकार के आदेशों को दरकिनार कर प्रदेश से बाहर की एजेंसियों को बांटे कार्य 
  • आईजी अभिनव कुमार ने एसआईटी जांच की समीक्षा में देरी पर जताई नाराजगी 

देहरादून। सिडकुल घोटाले की जांच में चौंकाने वाली कई बातें सामने आई हैं। पता चला है कि सिडकुल के अधिकारियों ने सरकार के आदेशों को ताक पर रखते हुए ब्लैक लिस्टेड कंपनी को करोड़ों के काम बांट दिए। उन्होंने प्रदेश की छोटी कंपनियों के हकों का ध्यान नहीं रखा और आदेशों के विपरीत छोटे काम भी बाहर की एजेंसियों को दे दिये। आईजी गढ़वाल रेंज अभिनव कुमार ने सिडकुल घोटाले में एसआईटी जांच की समीक्षा के दौरान जांच में देरी पर नाराजगी जताई।समीक्षा में कुल 56 फाइलों को रखा गया। इनमें सबसे अधिक देहरादून, ऊधमसिंहनगर व पौड़ी गढ़वाल की 12-12, हरिद्वार व नैनीताल की छह-छह, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ की दो-दो और टिहरी की चार फाइलें शामिल थीं। आईजी ने बताया कि अब तक की जांच में पता चला है कि करोड़ों के ऐसे काम हैं जिन्हें अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को दिए हैं। जबकि इस कंपनी को वर्ष 2012 में सरकार ने कई अनियमितताओं के चलते ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। 
उस वक्त सरकार ने यह भी आदेश पारित किया था कि पांच करोड़ रुपये से कम वाले कामों को स्थानीय निर्माण कंपनियों को दिए जाएंगे। लेकिन सिडकुल के अधिकारियों ने इन नियमों और आदेशों को भी ताक पर रख दिया। अधिकारियों ने ऐसे छोटे-छोटे काम भी बाहर की एजेंसियों को दे दिए। इस संबंध में सभी फाइलों की जांच अगले सप्ताह तक पूरा करने के आदेश दिए गए हैं। इसके बाद यह जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी।  
जांच के दौरान सामने आया है कि उत्तरकाशी और पिथौरागढ़ की टीमें जांच में देरी कर रही है। इस बात पर आईजी खासे नाराज हुए और दोनों जिलों के कप्तानों को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि आगे की जांच दोनों जिलों के पुलिस कप्तान अपनी देखरेख में पूरी कराएंगे। देहरादून में चल रही जांचों में तकनीकी रिपोर्ट अभी नहीं मिली है। जबकि इसके लिए लोक निर्माण विभाग के विशेषज्ञों को तैनात किया गया था। अब इसके लिए आईजी के माध्यम से लोक निर्माण विभाग को अनुरोध किया गया है कि वह तकनीकी रिपोर्ट को जल्द पूरा कर पुलिस को सौंप दे। ऊधमसिंह नगर में कुछ अधिकारियों ने अब भी माप पुस्तिका पुलिस को उपलब्ध नहीं कराई है। ऐसे में आईजी ने ऊधमसिंह नगर के पुलिस कप्तान को कहा है कि वे अधिकारियों को इसके लिए अंतिम मौका दें। इसके बाद भी यदि पुस्तिका नहीं दी जाती है तो इसे जानबूझकर गायब करने की श्रेणी में रखते हुए मुकदमा दर्ज कराया जाए।

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