वक्त की हर शै गुलाम
- यह युद्ध 10 दिन से ज्यादा चला तो कंगाली की कगार पर होगा रूस
- यूक्रेन को नाटो में जाने से रोकना था रूसी हमले का असल मकसद
मास्को। हालांकि यूक्रेन के खिलाफ रूसी हमले का असल मकसद उसे नाटो में जाने से रोकना था, लेकिन यह युद्ध लंबा चला तो रूस पर उसी का दांव उल्टा पड़ सकता है। एस्टोनिया के पूर्व रक्षा मंत्री रियो टेरास का दावा है कि ‘अगर युद्ध 10 दिन से ज्यादा चला तो रूस कंगाली के कगार पर पहुंच जाएगा। पुतिन को समझौता वार्ता के लिए मजबूर होना पड़ेगा। रूस को यूक्रेन पर जल्द कब्जे की गलतफहमी थी।’रूस को फिलहाल एक साथ कई मोर्चे पर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जहां एक और युद्ध पर हर दिन 1.12 लाख करोड़ रुपए खर्च हो रहा है, वहीं रूस की करेंसी रूबल इस महीने 10% तक कमजोर हो चुकी है। पश्चिमी देशों ने रूस के साथ डॉलर-यूरो-पाउंड में कारोबार बैन कर दिया है। ऐसे में रूबल अभी और गिर सकता है।उधर रूस के शेयर मार्केट में लगातार गिरावट जारी है। रूसी शेयर मार्केट 10 फरवरी के बाद 40% तक गिर चुका है। युद्ध शुरू होने के तीन हफ्ते पहले से ही रूसी कंपनियों को नुकसान होना शुरू हो चुका था। वहां का शेयर बाजार 10 फरवरी के बाद 40% तक गिर चुका है। इससे रूस की लिस्टेट कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। रूस को यूक्रेन पर हमले के सिर्फ 4 दिन में 5 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़े हैं।एक खुफिया रिपोर्ट के अनुसार अब पुतिन यूक्रेन पर हमले के बाद भी यूरोप में थमेंगे नहीं। नाटो में शामिल होने पर विचार कर रहे पड़ोसी देशों फिनलैंड और स्वीडन पर भी रूस हमला कर सकता है। दूसरी ओर यूरोप और अमेरिका की ओर से लगाए जा रहे अलग-अलग आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रूसी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचनी शुरू हो चुकी है।विशेषज्ञों का कहना है कि रूस की चिंता अब इस बात से बढ़ गई है कि अगर युद्ध लंबा खिंचा तो इतना भारी आर्थिक नुकसान कैसे झेलेगा। इसलिए वह जल्द से जल्द कीव पर कब्जा कर सत्ता पलटना चाहता है। रूस की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स रिटेलर कंपनी डीएनएस के चीफ एग्जीक्यूटिव दमित्री एलेक्सयेव कहते हैं- ‘ये युद्ध हमें पीछे धकेलेगा। समझ नहीं आया कि युद्ध की जरूरत क्या थी?’ इसी तरह उड़ानों पर बैन लगाए जाने से प्रभावित होने जा रही दूसरी सबसे बड़ी रूसी एयरलाइंस एस7 ने कहा कि कंपनी कंगाली की ओर बढ़ सकती है।अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर युद्ध एक महीना भी खिंच गया तो रूस को फायदा बहुत कम और नुकसान बहुत ज्यादा होगा। कीव और खार्कीव में यूक्रेन का मोर्चा मजबूत रहे, इसके लिए कुछ यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को हथियारों की सप्लाई शुरू कर दी है। दरअसल अब यूरोप का मकसद रूस को ज्यादा दिनों तक युद्ध में उलझाए रखने का है। दूसरी ओर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीते रविवार को बदले हुए हालात को देखते हुए रिजर्व फोर्स को अलर्ट रहने का आदेश दिया है।यूक्रेन को रूसी हमले से निपटने के लिए यूरोपीय देशों में सरकार के साथ साथ आम लोग भी आगे बढ़कर मदद कर रहे हैं। यूक्रेन के बैंक ‘नेशनल बैंक ऑफ यूक्रेन’ (एनबीयू) ने मदद के लिए 4 दिन पहले एक स्पेशल अकाउंट खोला था। एनबीयू के मल्टी करेंसी अकाउंट में महज चार दिनों में 1 अरब रुपए से ज्यादा रकम जमा हो गई है। अब सेना इससे गोला बारूद, संचार, चौकसी के लिए जरूरी सामान और वर्दी खरीदेगी। यूक्रेन के लिए जुटाई जा रही मदद, उसके एम्बेसी के जरिए यूक्रेन सेना तक पहुंचाई जा रही है। चेक रिपब्लिक में दो जगहों पर ये सामग्री एकत्रित की जा रही है। जहां लोग जरूरी चीजें दे रहे हैं।काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स, ऑफिस ऑफ डिफेंस ऑफ यूक्रेन इन प्राग भी इसमें मदद कर रहा है। चेक गणराज्य हथियार भी दे रहा है। पूरी दुनिया से मिल रही मदद के चलते रूस पर दबाव बढ़ गया है और किसी तरह युद्ध को समाप्ति की ओर ले जाने की कवायद में जुट गया है।