- पूर्व विधायक और राज्य आंदोलनकारी 86 वर्षीय रणजीत सिंह वर्मा का बीते रोज सोमवार सुबह जौलीग्रांट अस्पताल में हो गया था निधन
देहरादून। उत्तराखंड के जननायक और पूर्व विधायक रहे रणजीत सिंह वर्मा की अंतिम यात्रा में आज मंगलवार सुबह भारी हुजूम उमड़ा। गाड़ियों की लंबी कतार लग गई। सुबह दस बजे उनके आवास से अंतिम यात्रा निकली और लक्खीबाग श्मशानगृह में उनका अंतिम संस्कार किया गया। सोमवार सुबह सात बजे उनका स्वर्गवास हो गया था।
पूर्व विधायक और राज्य आंदोलनकारी रणजीत सिंह वर्मा का सोमवार सुबह जौलीग्रांट अस्पताल में पांच दिनों से उनका इलाज चल रहा था। वे अविभाजित उत्तरप्रदेश की मसूरी विधानसभा के दो बार विधायक रहे थे। बीते सोमवार को उनका निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति एवं दु:ख की इस घड़ी में उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पृथक उत्तराखंड के निर्माण में रणजीत सिंह के संघर्षों को सदैव याद रखा जाएगा।
उनके निधन पर उनके निकट सहयोगी रहे क्षेत्र के तमाम लोगों ने दुख जताया है। जौलीग्रांट के पूर्व प्रधान और उनके सहयोगी रहे कुंवर सिंह मनवाल कहते हैं कि उनके निधन की खबर डोईवाला के लिए अपूरणीय क्षति है। वर्मा का नाम शिक्षा के प्रचार प्रसार और गन्ना राजनीति में बेहद आदर के साथ लिया जाता है। आजीवन मूल्यों और सिद्धांतों पर चलकर उन्होंने गन्ना राजनीति और डोईवाला में शिक्षा को बढ़ावा देने का काम किया। पृथक राज्य निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वर्मा का कार्य क्षेत्र डोईवाला रहा। तरली जौलीग्रांट में उनका निवास स्थान है।
क्षेत्र में उनके पास काफी खेती बाड़ी होने के कारण प्रगतिशील किसान कहा जाता रहा है। गन्ना राजनीति में करीब तीन दशक से भी अधिक समय तक उनकी पकड़ रही है। गन्ना परिषद डोईवाला में करीब 25 सालों तक लगातार अध्यक्ष का दायित्व निभाया। डोईवाला शुगर मिल के पुनर्निर्माण में भी उनका बड़ा योगदान रहा। अविभाजित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे नारायणदत्त तिवारी से उनका स्नेह होने के कारण डोईवाला चीनी मिल की पेराई क्षमता बढ़ाकर उसको आधुनिक रूप दिलाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। क्षेत्र के सबसे पुराने पब्लिक इंटर कॉलेज डोईवाला के प्रबंधक का काम साल 1966 से 2018 तक निभाया। जबकि आर्य कन्या पाठशाला इंटर कॉलेज के वह आजीवन प्रबंधक बने रहे