मंदी पर घर में ही घिरी मोदी सरकार!

अब तो सच बोल दो

  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति ने अर्थव्यवस्था पर उठाए सवाल
  • पराकला प्रभाकर ने कहा कि मंदी की वास्तविकता को नकार रही है सरकार
  • वित्त मंत्री के पति ने मंदी से निपटने के सरकार के तरीकों को बताया गलत
  • नरसिम्हा और मनमोहन सरकार की आर्थिक नीतियों सें सबक लेने को कहा
  • कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे चुनाव, भाजपा बना चुकी आंध्र का पार्टी प्रवक्ता

नई दिल्ली। मंदी पर विपक्ष और आर्थिक विशेषज्ञों के आरोपों से इनकार करने वाली मोदी सरकार को अब घर में ही आलोचना का शिकार होना पड़ा है। अर्थशास्त्री और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पराकला प्रभाकर ने कहा है कि सरकार मंदी की वास्तविकता को नकार रही है। उसे कांग्रेस के आर्थिक मॉडल पर अर्थव्यवस्था की हालत सुधारनी चाहिए।
प्रभाकर ने मंदी के मुद्दे पर चिंता जताई और कहा कि सरकार आंखें बंद कर इस समस्या से छुटकारा पाना चाहती है। जब एक के बाद एक सेक्टर मंदी की चुनौतियों से जूझ रहे हैं तो भाजपा सरकार को यह समझ नहीं आ रहा कि इस सुस्ती की वजह क्या है। ऐसा लगता ही नहीं कि भाजपा सरकार के पास इन चुनौतियों से निपटने का कोई रणनीतिक दृष्टिकोण या योजना है।
उन्होंने मंदी से निपटने के सरकार के तरीकों को भी गलत बताया। कहा, मोदी सरकार के पास देश की अर्थव्यवस्था के लिए स्पष्ट विचार बनाने की कोई इच्छा ही नहीं है और अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कोई रोडमैप पेश करने में नाकाम रही है। प्रभाकर ने भाजपा के नेहरू मॉडल की आलोचना पर लिखा, इस मॉडल के प्रति मोदी सरकार का आलोचनात्मक रुख तो जाहिर है, लेकिन इस पक्ष में उनकी वकालत भी कुछ हद तक पूंजीवादी और मुक्त बाजार ढांचे वाली करार दी जा सकती हैा, जो अभी तक व्यावहारिकता में नहीं आई है। यह चिंताजनक है कि सरकार की आर्थिक विचारधारा और इसकी अभिव्यक्ति महज नेहरू मॉडल की आलोचना तक सीमित है, जो महज राजनीतिक हो सकता है। इसे कभी अर्थव्यवस्था की आलोचना के तौर पर नहीं देखा जा सकता।
उन्होंने सुझाव दिया कि पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह सरकार की आर्थिक नीतियों सें सबक लें और इसी पर चलकर अर्थव्यवस्था को उबारा जा सकता है। आंध्र प्रदेश के राजनीतिक परिवार में दो जनवरी, 1959 को जन्मे प्रभाकर की अर्थव्यवस्था, राजनीति और सामाजिक मामलों पर अच्छी पकड़ है। उनकी मां आंध्र प्रदेश विधानसभा की सदस्य थीं, जबकि पिता दो बार राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे। वर्ष 1994 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर नारासापुरम सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन एनटी रामाराव की आंधी में कांग्रेस को बुरी हार मिली। इसके बाद भी वह कांग्रेस और भाजपा के टिकट पर चार बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन कभी जीत नहीं सके।
भाजपा ने तो उन्हें आंध्र प्रदेश का पार्टी प्रवक्ता भी बनाया था। बाद में वह दक्षिण के अभिनेता चिरंजीवी की प्रजा राज्यम पार्टी के संस्थापक महासचिवों में शामिल हुए। यहां भी उन्हें राजनीति रास नहीं आई। फिलहाल वे एक निजी कंपनी राइट फोलियो के प्रबंध निदेशक हैं। उधर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक मोर्चे पर पति की आलोचना के जवाब में कहा कि मोदी सरकार ने पिछले पांच वर्षों में कई कल्याणकारी और बड़े बदलाव वाले कदम उठाए हैं। इस दौरान जीएसटी के रूप में सबसे बड़ा कर सुधार लागू किया गया तो आधार के जरिये नागरिकों को विशिष्ट पहचान भी दी। इसके अलावा उज्ज्वला योजना के तहत आठ करोड़ से ज्यादा मुफ्त गैस कनेक्शन बांटकर समाज के निचले तबकों को बड़ी राहत पहुंचाई है।

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