महाराजा रणजीत सिंह 500 साल के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ शासक!

अमेरिकन सर्वे का खुलासा

  • अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा ने किया शासकों की कार्यशैली का सर्वे
  • उसमें सेना के नवीनीकरण और व्यापारिक नीतियों को आधार बनाया
  • महाराजा के वंशज बाेले- उनके कुशल शासक होने का लोहा मानती है सारी दुनिया
  • रणजीत सिंह ने कभी किसी को मृत्युदंड नहीं दिया, जजिया कर पर भी लगाई थी रोक

अमृतसर। पहले सिख शासक और पंजाब को एक सूत्र में पिरोकर उसे पख्तूनख्वा से कश्मीर तक विस्तारित करने वाले महाराजा रणजीत सिंह 500 साल के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ शासक साबित हुए हैं। महाराजा रणजीत सिंह के निधन के 180 साल बाद अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ अलबामा के सर्वे में इसकी पुष्टि हुई है।
इस सर्वे में शासकों की कार्यशैली, रण कौशल, प्रजा नीति, सेना के नवीनीकरण, आर्थिक और व्यापारिक नीतियों को आधार मान कर टॉप-10 शासकों को सूचीबद्ध किया है। महाराजा रणजीत सिंह पहले स्थान पर रहे। इसी तरह से टॉप-5 शासन काल को किए गए सूची में महाराजा का शासन काल पहले स्थान पर आया है।महाराजा रणजीत सिंह के वंशज डॉ. जसविंदर सिंह तथा एडवोकेट संदीप सिंह ने बताया कि भारत में भले ही महाराजा को वह महत्ता नहीं मिली, लेकिन अब सारी दुनिया उनके शासन काल और कुशल शासक होने का लोहा मानती है। उनका कहना है कि विदेशी हमलावरों के दौर में महाराजा रणजीत सिंह ने देश की पश्चिमी छोर पर उनको रोका और उनको शिकस्त देते हुए सिख साम्राज्य की स्थापना की।
सर्वे के अनुसार वह ऐसे शासक थे जिन्होंने अपने राज्य का विस्तार देश की सीमाओं से बढ़ाकर पेशावर, पख्तूनख्वा, कश्मीर तक किया। उन्होंने उस दौर आपस में लड़ने वाले रजवाड़ों को एक सूत्र में पिरो कर एक समृद्ध और संगठित शासन खड़ा किया।
जसविंदर सिंह ने बताया कि उन्होंने कानून और व्यवस्था कायम की और कभी भी किसी को मृत्युदण्ड नहीं दिया। उनका सूबा धर्मनिरपेक्ष था। उन्होंने हिंदुओं और सिखों से वसूले जाने वाले जजिया पर भी रोक लगाई। कभी भी किसी को सिख धर्म अपनाने के लिए विवश नहीं किया। उन्होंने अमृतसर के हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारे में संगमरमर लगवाया और सोना मढ़वाया, तभी से उसे स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा। उनके युद्ध कौशल के अनेक किस्से मशहूर हैं।

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