कमलनाथ रहेंगे या ‘कमल’, कल होगा दूध का दूध और पानी का पानी!

सियासत की शतरंज

  • राज्यपाल टंडन ने फ्लोर टेस्ट के लिए सीएम कमलनाथ को दूसरी बार आदेश दिया, कहा- कल तक साबित करें बहुमत
  • शिवराज सिंह चौहान ने राजभवन में राज्यपाल के सामने भाजपा के सभी विधायकों की करवाई परेड
  • राज्यपाल ने आज सत्र के पहले दिन फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश दिया था, स्पीकर ने 26 मार्च तक कार्यवाही टाली
  • रविवार को विधानसभा की कार्यसूची में फ्लोर टेस्ट शामिल न होने पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को किया था तलब

भोपाल। नाटकीय घटनाक्रम के बीच कमलनाथ सरकार रहेगी या जाएगी, इस पर गहमागहमी जारी है। आज सोमवार को विधानसभा सत्र शुरू होने के कुछ देर बाद ही स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी। सरकार के इस फैसले से राज्यपाल लालजी टंडन नाराज बताए जा रहे हैं। वह विधानसभा में बजट सत्र की औपचारिक शुरुआत करने नौ मिनट की देरी से पहुंचे और पूरा अभिभाषण पढ़े बिना 11 मिनट में राजभवन लौट गए।
राज्यपाल ने दोबारा मुख्यमंत्री कमलनाथ को चिट्ठी लिखी है। इसमें सरकार को कल फ्लोर टेस्ट कराने और बहुतम साबित करने के लिए कहा गया है। फ्लोर टेस्ट न कराए जाने पर शिवराज सिंह समेत 106 विधायक राजभवन पहुंचे और राज्यपाल के सामने परेड की। राज्यपाल ने कहा- जब मैंने निर्देश दिए थे तो उसका पालन होना चाहिए था। उन्होंने विधायकों से कहा कि आप निश्चिंत रहिए, जो उचित कार्रवाई होगी, मैं करूंगा। अपने आदेश का पालन करवाना मुझे आता है।
उन्होंने विधायकों से पूछा- स्वेच्छा से आए हैं? इस पर विधायकों ने एक साथ ‘हां’ में जवाब दिया। राज्यपाल ने पूछा- कोई दबाव तो नहीं? विधायकों ने कहा- बिल्कुल नहीं। राज्यपाल ने कहा- अब लोकतंत्र बचाने की जिम्मेदारी मेरी है। आपके अधिकारों का हनन नहीं होगा।
राजभवन में शिवराज ने कहा- कमलनाथ की सरकार अल्पमत में है। बहुमत खो चुकी है इसलिए राज्यपाल ने सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया था। बहुमत होता तो सरकर को दिक्कत क्या थी? मुख्यमंत्री जानते हैं कि वे अल्पमत में हैं। सरकार डरकर मैदान छोड़कर भाग गई। कांग्रेस के सिर्फ 92 और भाजपा के 106 विधायक हैं। अब ये निश्चित हो गया है कि बहुमत भाजपा के साथ है। हमने राज्यपाल के सामने विधायकों की परेड कराई। सरकार के पास कोई अधिकार नहीं बचा है, इसके बाद भी रोज तबादले किए जा रहे हैं। कमलनाथ को अब कोरोना भी नहीं बचा सकता। राज्यपाल ने कहा है कि वे हमारे हितों की रक्षा करेंगे। हम सर्वोच्च न्यायलय में भी गए हैं।
इससे पहले राज्यपाल को आज सोमवार सुबह 10.50 बजे विधानसभा जाने के लिए निकलना था। इस बीच कमलनाथ ने राज्यपाल को पत्र लिखकर फ्लोर टेस्ट न कराने की जानकारी दी। इससे वह नाराज हो गए। राज्यपाल 11.08 बजे तक राजभवन से बाहर नहीं निकले। तब कयास लगाए जाने लगे कि राज्यपाल विधानसभा नहीं जाएंगे। बताया जा रहा है राज्यपाल ने संवैधानिक विशेषज्ञों की सलाह ली और विधानसभा जाने को तैयार हुए। इस बीच यहां सुरक्षा में तैनात पुलिस बल को खाने के पैकेट बांटे गए, उन्होंने भोजन शुरू ही किया था कि इतने में राज्यपाल के वापस आने की सूचना आ गई। सुरक्षाकर्मी खाना बीच में छोड़कर फिर से मुस्तैद हो गए। राज्यपाल विधानसभा से 11.20 बजे राजभवन में प्रवेश कर गए।
सूत्रों के अनुसार कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट न कराने के लिए पत्र में कहा है कि भाजपा ने कांग्रेस के कई विधायकों को बंदी बनाकर कर्नाटक पुलिस के नियंत्रण में रखा है। उन्हें अलग-अलग बयान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। फ्लोर टेस्ट का औचित्य तभी है, जब सभी विधायक बंदिश से बाहर और दबावमुक्त हों।
राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष का मार्गदर्शक या परामदर्शदाता नहीं है। राज्यपाल अध्यक्ष से यह अपेक्षा नहीं कर सकता कि अध्यक्ष उस तरीके से सदन में कार्य करे, जो राज्यपाल संवैधानिक दृष्टि से उचित समझता है। राज्यपाल और अध्यक्ष दोनों के अपने स्वतंत्र संवैधानिक जिम्मेदारियां हैं।
विधानसभा राज्यपाल के नीचे काम नहीं करती। कुल मिलाकर राज्यपाल विधानसभा के लोकपाल की तरह काम कर सकते हैं।
राज्यपाल ने रविवार देर रात हाथ उठाकर वोटिंग का निर्देश दिया था। रविवार को राज्‍यपाल ने विधानसभा अध्‍यक्ष और सरकार को निर्देश दिया था कि 16 मार्च को अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्‍ट करवाएं। लेकिन, सरकार की ओर से विधानसभा की कार्यसूची में केवल अभिभाषण को लिया गया। इस पर देर शाम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने राज्यपाल से मुलाकात की। विरोध के तौर पर ज्ञापन दिया है। राज्‍यपाल ने आश्‍वासन दिया था कि वे नियमों के तहत इस पर निर्णय लेंगे।

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