अलविदा मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रिकर!

  • मात्र 63 वर्ष की आयु में पैन्क्रियाटिक कैंसर के कारण हुआ निधन
  • गोवा के लोगों के बीच ‘मैन विद प्लान’ के नाम से लोकप्रिय थे पूर्व रक्षा मंत्री

गोवा जैसे एक छोटे से राज्य से अपना राजनीति का सफर शुरू करने वाले मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रिकर का 63 साल की उम्र में  पैन्क्रियाटिक कैंसर से रविवार शाम को निधन हो गया। 
मनोहर पर्रिकर का जन्म गोवा के मापुसा गांव में 1955 में हुआ था। अपनी 12 वीं की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने मुंबई में आईआईटी में दाखिला लिया था और यहां से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी।
पर्रिकर स्कूलों के दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए थे। उन्होंने आरएसएस की युवा शाखा के लिए भी काम करना शुरू कर दिया था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बार फिर उन्होंने आरएसएस को अपनी सेवा देना शुरू कर दिया। जिसके बाद उन्हें भाजपा का सदस्य बनने का मौका मिला और पार्टी ने पर्रिकर को 1994 में गोवा की पणजी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया और उनको इस चुनाव में जीत मिली
वर्ष 2000 में गोवा में हुए विधान सभा चुनावों में भाजपा को सत्ता में आने का मौका मिला और पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री बन गये। लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें 27 फरवरी 2002 को उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। वहीं 5 जून 2002 को फिर से उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया।वहीं 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार मिली। जिसके बाद भाजपा को 2012 में गोवा में हुए चुनाव में जीत मिली और फिर से भाजपा ने पर्रिकर को मुख्यमंत्री बना दिया। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा केंद्र में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई तो पर्रिकर देश के रक्षा मंत्री बने। 
गोवा के मुख्यमंत्री होने के बाद भी पर्रिकर ने अपने रहन-सहन में जरा भी बदलाव नहीं किया। कहा जाता है कि वो विधानसभा खुद स्कूटर चलाकर जाया करते थे। इतना ही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपने घर को नहीं छोड़ा और सरकार द्वारा दिए गए घर में नहीं गए।
गोवा के लोगों के बीच पर्रिकर ‘मैन विद प्लान’ के नाम से लोकप्रिय हुए। पर्रिकर जब प्रदेश के विपक्ष के नेता थे तो उनके भाषण न्यू गोवा के सपनों के साथ कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार पर कठोर तंज कसनेवाले थे। बतौर विपक्षी नेता उनके भाषणों में दूरदर्शिता और जोश था और इसने उन्हें प्रदेश में लोकप्रिय बनाया। सीएम बनने के बाद उन्होंने गोवा में फैले भ्रष्टाचार, अवैध माइनिंग के आरोप में कई कांग्रेसी नेताओं पर कार्रवाई की और इसने उन्हें जनता के बीच फैसले लेनेवाला सीएम के तौर पर स्थापित किया।

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