देहरादून रेडएफएम पर सुबह गूंजने वाली वो आवाज अब नहीं सुनाई देगी

  • मशहूर रेडियो जाॅकी काव्य ने दिया रेडएफएम से इस्तीफा

देहरादून। देहरादून रेडएफएम 93.5 से सुबह गूंजने वाली वो आवाज जिसका इंतजार हर उत्तराखंडी करता है, अब नहीं सुनाई देगी। उनकी मंद मुस्कान और बोलने का स्टाइल हर उत्तराखंडी को पसंद था। मशहूर रेडियो जॉकी काव्य ने रेडएफएम से इस्तीफा दे दिया है। उत्तराखंड में रेडएफएम की शुरुआत से ही वह इसका चेहरा थे। तीन साल में ही उन्होंने रेडएफएम को हर उत्तराखंडी तक पहुंचाने में मुख्य भूमिका निभाई। देहरादून से प्रसारण का दायरा सीमित होने के बावजूद काव्य के कार्यक्रम को पूरे उत्तराखंड में लोगों ने पसंद किया। उनके कार्यक्रम को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देखने वालों की संख्या लाखों में है।
इस संबंध में जब काव्या से बात की तो उन्होंने संस्थान छोड़ने की बात स्वीकार की। हालांकि आगे उनकी क्या योजना है, इस पर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। पता चला है कि काव्य 9 नवम्बर को उत्तराखंड दिवस के दिन एक बड़ी घोषणा करने जा रहे हैं। काव्य ने रेडियो के सफर की शुरुआत 2008 में जोधपुर दैनिक भास्कर ग्रुप के माई के साथ की। इसके बाद उन्होंने 2010 में रेडएफएम ज्वाइन किया पहले कानपुर, फिर जयपुर, कोलकाता, दिल्ली के बाद 3 साल पहले काव्य को देहरादून में रेडएफएम को जमाने की जिम्मेदारी दी गई। काव्य को रेडएफएम में कई अच्छे इनिशिएटिव लेने का श्रेय दिया जाता है। उत्तराखंड को गौरवान्वित करने वाले लोगों के साथ उन्होंने लोकप्रिय सीरीज ‘एक पहाड़ी ऐसा भी शुरू की। उनके इस कार्यक्रम ने देशभर में रहने वाले उत्तराखंडियों का ध्यान खींचा। घोस्ट विलेज नहीं ‘दोस्त विलेज से रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा दिया।
उत्तर का उत्तर‘ बना लोक संस्कृति को बढ़ाने वाली नई धारा काव्य ने अपने यूट्यूब चैनल ‘उत्तर का पुत्तर‘ के जरिये पहाड़ की लोक संस्कृति, संगीत से जुड़े लोगों को एक नया मंच प्रदान किया। उत्तराखंड लोक संगीत के स्थापित चेहरों के साथ ही नए कलाकारों, गायकों और संगीतकारों को लोगों के सामने लाए।आज काव्य के सोशल मीडिया पर तीन लाख से ज्यादा फॉलोअर हैं और भारत के साथ ही 21 देशों से उत्तराखंड के लोग उनसे जुड़े हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय निर्वाचन आयोग ने काव्य को अपना ब्रांड एबेसडर बनाया था।
रेडएफएम छोड़ने के पीछे की वजह के बारे में चैनल के सूत्र बताते हैं कि शुरुआत में जब रेडएफएम देहरादून में आया। काव्य को अपने हिसाब से काम करने की आजादी दी गई, जिसका परिणाम ये हुआ कि पूरे प्रदेश में लोग रेडएफएम को सोशल मीडिया के जरिये भी सुनने लगे। इसके बाद काव्य ने पहाड़ के विषयों को जोरशोर से उठाने लगे। यहीं से दिक्कतें शुरू हुई। उत्तराखंड के गायकों, कलाकारों, रचनाकारों को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरफ से योगदान देने पर भी कंपनी प्रबंधन की ओर से ऐतराज जताया गया।
बताया जाता है कि धीरे-धीरे काव्य के सोशल मीडिया हेंडल्स पर कंपनी ने नजर रखनी शुरू कर दी। पहाड़ को लेकर किए जाने वाले काम को कंट्रोल करने की कोशिश होने लगी। काव्य जब भी पहाड़ से संबंधित कोई वीडियो या गीत सोशल मीडिया पर शेयर करते तो उस पर मैनेजमेंट द्वारा नोटिस तक दिया जाने लगा। काव्य ने जब इन बातों को मैनेजमेंट तक उठाया तो उन्हें कोई वाजिफ जवाब नहीं मिला।
आखिरकार काव्य ने 10 साल के शानदार सफर के बाद 6 अक्टूबर को मैनेजमेट को अपना इस्तीफा सौंप दिया जिसे 8 अक्टूबर को स्वीकार भी कर लिया गया है।

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