सचिवालय प्रवेश में पूर्व सैनिकों की समस्याओं को त्रिवेंद्र ने किया था दूर

  • पूर्व सैनिकों ने बताया-उन्हें अब उनके परिचय पत्र पर ही मिल जाता है प्रवेश
  • रूड़की में पूर्व सैनिकों ने साझा कीं, त्रिवेंद्र से जुड़ी तमाम बातें
  • एक फोन से थराली क्षेत्र में सीएसडी कैंटीन के लिए मिल गई थी जमीन

रूड़की। यह वाक्या उस वक्त का है, जब त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। पूर्व सैनिकों के प्रतिनिधिमंडल की देहरादून सचिवालय में एक अफसर से मुलाकात प्रस्तावित थी। प्रतिनिधिमंडल ठीक समय पर सचिवालय गेट में पहुंच गया, लेकिन उन्हें पास जारी करने में स्टाफ ने इतना वक्त लगाया कि तब तक संबंधित अफसर सचिवालय से बाहर अपने किसी दूसरे काम से चला गया। मुलाकात नहीं हो पाई। पूर्व सैनिकों ने सचिवालय प्रवेश से जुड़ी परेशानियों को लेकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की, तो उन्होंने इसका संज्ञान लिया। शौर्य दिवस के कार्यक्रम में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऐलान कर दिया कि पूर्व सैनिकों का सचिवालय में प्रवेश उनके परिचय पत्र के आधार पर ही हो जाएगा। अलग से पास बनाने की आवश्यकता नहीं होगी।

पूर्व सैनिकों के शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में सभी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को भारी मतों से जिताने का संकल्प प्रकट किया। साथ ही, सैनिकों के प्रति त्रिवेंद्र के सम्मान और आत्मीय रिश्ते की चर्चा की। सैनिक संगठन केे अध्यक्ष शमशेर सिंह बिष्ट ने बताया कि सचिवालय में प्रवेश के लिए पूर्व सैनिकों के परिचय पत्र को ही मान्य करने का फैसला बहुत बड़ा था। इसके बाद से पूर्व सैनिकों को आज तक सचिवालय में प्रवेश करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। उन्होंने एक और घटना का जिक्र किया और बताया कि थराली उपचुनाव के दौरान क्षेत्रवासियों ने वहां सीएसडी कैंटीन के लिए जगह उपलब्ध न होने की समस्या सैनिक संगठन को बताई थी। सैनिक संगठन ने जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सामने ये बात रखी, तो उन्होंने उसी समय चमोली के डीएम को फोन कर जमीन उपलब्ध कराने के लिए आदेशित किया। त्रिवेंद्र के हस्तक्षेप से यह समस्या दूर हो गई।

सैनिक परिवार में जन्मे त्रिवेंद्र सिंह रावत के पूर्व सैनिकों और उनसे संबंधित मामलो में खास दिलचस्पी लेने के कई उदाहरण हैं। रिटायर्ड कर्नल राजीव कुमार के अनुसार, जनरल बिपिन रावत की मौत के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत उनके पैतृत गांव पहुंच गए थे। उस वक्त वेे मुख्यमंत्री भी नहीं थे। त्रिवेंद्र ने वहां उनके दोनों चाचाओं का सम्मान किया और भरोसा दिलाया कि गांव में उनकी स्मृति में कार्य जरूर किया जाएगा। रिटायर्ड कर्नल राजीव कुमार को उम्मीद है कि त्रिवेंद्र न सिर्फ जीतेंगे, बल्कि केंद्रीय मंत्री भी बनेंगे और तभी सैंज गांव में जनरल बिपिन रावत की स्मृति में कार्य होगा।

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