छात्रवृत्ति घोटाला : एएमआई के संयुक्त सचिव गिरफ्तार

  • एसआईटी ने छात्रवृत्ति के चार करोड़, 31 लाख, 99 हजार रुपये के घोटाले के आरोपी मानवेंद्र स्वरूप पर की कार्रवाई

देहरादून/कानपुर। उत्तराखंड की एसआईटी ने करोड़ों रुपये के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में एक शैक्षणिक संस्थान एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (एएमआई) के संयुक्त सचिव मानवेंद्र स्वरूप को गिरफ्तार कर लिया। एसआईटी ने कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया। मानवेंद्र शिक्षक विधायक का चुनाव भी लड़ चुके हैं। इसके अलावा संस्थान में छात्रों के फर्जी एडमिशन कराने वाले दलाल को भी गिरफ्तार किया गया है।
एसआईटी ने बताया कि समाज कल्याण विभाग ने वर्ष 2012 से 2013 और वर्ष 2015 से 2016 के बीच उत्तराखंड के शैक्षिक संस्थानों में एससी-एसटी और ओबीसी को फीस प्रतिपूर्ति के लिए चार करोड़, 31 लाख, 99 हजार रुपये दिए थे। यह राशि छात्रों तक नहीं पहुंची और हड़प कर ली गई। घोटाला उजागर होने पर उत्तराखंड शासन ने घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी। इस दौरान एसआईटी छात्रवृत्ति के करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने पर विभिन्न कॉलेजों के संचालकों को गिरफ्तार कर चुकी है।
एसआईटी की जांच में यह भी पता चला कि एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट नंदा की चौकी, प्रेमनगर देहरादून के संयुक्त सचिव मानवेंद्र स्वरूप ने अपने शैक्षणिक संस्थान में फर्जी छात्रों का प्रवेश दिखाकर शुल्क प्रतिपूर्ति के रुपये मेें करोड़ों रुपये गबन कर लिए। इस पर प्रेमनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर एसआईटी ने जांच आगे बढ़ाई। जिसमें पता लगा कि प्रथम वर्ष में फेल छात्रों को द्वितीय वर्ष में दिखाकर दोबारा छात्रवृत्ति हासिल कर ली। इसके अलावा छात्रों के बयान, कॉलेजों के रजिस्टर और अन्य दस्तावेजों में भी कई खामियां मिली थीं। इस शैक्षणिक संस्थान द्वारा 2012-13 से 2015-16 तक छात्रवृत्ति के कुल चार करोड़, 31 लाख, 99 हजार रुपये प्राप्त किए गए।
कालेज के कुछ एजेंटों ने गांवों में आकर छात्रों से संपर्क किया।
एएमआई द्वारा छात्रों का बड़ी संख्या में प्रवेश दर्शाकर छात्रों के नाम पर छात्रवृत्ति की धनराशि प्राप्त की गई। जबकि उनमें से अधिकांश छात्रों का संबंधित विवि या बोर्ड में नामांकन होना नहीं पाया गया। इसके अतिरिक्त अधिकांश छात्र अनुत्तीर्ण पाए गए। बहुत अधिक संख्या में प्रथम वर्ष में अनुत्तीर्ण छात्रों को द्वितीय वर्ष में दर्शाकर फिर छात्रवृत्ति प्राप्त की गई।
छात्रों के बयानों में यह तथ्य प्रकाश में आए कि कालेज के कुछ एजेंट ने गांवों में आकर छात्रों से संपर्क किया। छात्रों से प्रवेश फार्म और अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराए गए। कुछ ही छात्र कॉलेज गए थे और बाद में कॉलेज छोड़ दिया गया था। छात्रों को छात्रवृत्ति के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी। अधिकांश छात्र जिनका प्रवेश इस शैक्षणिक संस्थान में दर्शाया गया था, वे इस अवधि में अन्य शैक्षणिक संस्थान में कुछ और कोर्स कर रहे थे। इससे स्पष्ट हुआ कि इस शैक्षणिक संस्थान द्वारा छात्रों का फर्जी प्रवेश दर्शाकर छात्रवृत्ति की धनराशि का गबन किया गया।
जांच के आधार पर एसआईटी ने न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद मानवेंद्र के खिलाफ कोर्ट से एनबीडब्ल्यू जारी किया गया था। बुधवार को मानवेंद्र एसआईटी टीम के सामने पेेश हुए। जहां एसआईटी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया किया। बृहस्पतिवार को एसआईटी ने उन्हें कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
वहीं, बृहस्पतिवार देर शाम एसआईटी ने इसी मामले में राकेश तोमर पुत्र खील सिंह निवासी गांव कासा, थाना कालसी, देहरादून को भी गिरफ्तार कर लिया। एसआईटी के सूत्रों के मुताबिक, राकेश तोमर छात्रों के फर्जी एडमिशन कराने वाला दलाल है। राकेश को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चर्चित छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा मीडिया ने किया था। यह बात सामने आई कि जनपद हरिद्वार और देहरादून स्थित कई स्ववित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति के छात्र/छात्राओं के अपने संस्थानों में फर्जी प्रवेश दर्शाकर फीस प्रतिपूर्ति के रूप में समाज कल्याण विभाग से करोड़ों रुपए का गबन किया गया। इस मामले की मुख्यमंत्री के आदेश पर एसआईटी जांच अप्रैल 2018 में शुरू हुई।
जिसकी जांच हरिद्वार में तैनात एसआईटी प्रभारी एसपी मंजुनाथ टीसी ने शुरू की तो पर्त दर पर्त खुलती चली गई। यह घोटाला 100 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। अब तक इसमें समाज कल्याण विभाग के करीब आधा दर्जन से अधिकारियों पर बर्खास्तगी, निलंबन और जेल भेजने की कार्रवाई भी हुई। इसके अलावा विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के संचालकों को भी जेल हुई। ये अधिकारी और संस्थान संचालक अब भी जेल में बंद हैं।

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