उत्तराखंड: 30 प्रतिशत महिला क्षैतिज आरक्षण बहाल करने के लिए सचिवालय कूच

देहरादून। उत्तराखंड में 30 प्रतिशत महिला क्षैतिज आरक्षण बहाल करने को लेकर उत्तराखंड की नारी शक्ति के नेतृत्व में युवाओं ने परेड ग्राउंड से लेकर सचिवालय कूच किया। इसी कड़ी में विभिन्न संगठनों से जुड़ी महिलाएं और युवा संगठन परेड ग्राउंड में एकत्रित हुए। जिसके बाद सभी ने अपनी मांगों को लेकर एक सभा का आयोजन किया।
सभा के दौरान आंदोलनकारियों ने कहा सोई हुई सरकार को जगाने के लिए उन्हें सचिवालय कूच करना पड़ेगा। आंदोलन में शामिल महिलाओं ने उत्तराखंड की नारी शक्ति जिंदाबाद जैसे नारे लगाए। सभी संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर एकजुट होने का आह्वान किया। महिलाओं ने कहा यह कोई राजनीतिक मंच नहीं है, बल्कि यह हमारे हकों की लड़ाई है। हमने यह राज्य पहाड़ की बेटियों और युवाओं के लिए मांगा था, लेकिन उन्हें आज भी नौकरी से वंचित होना पड़ रहा है। सभी महिलाओं ने सरकार से 30% महिला आरक्षण दिए जाने की मांग उठाई है।
बीती 24 अगस्त को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा (UKPSC Exam) में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार के 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिए जाने वाले साल 2006 के शासनादेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी। बता दें कि सरकार जनरल कोटे (अनारक्षित श्रेणी) से 30 प्रतिशत आरक्षण उत्तराखंड की महिलाओं को दे रही थी, जिस पर रोक लगाई गई गई। मामले के मुताबिक, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जा रहा है, जिसकी वजह से वे आयोग की परीक्षा से बाहर हो गई हैं। उन्होंने सरकार के 2001 एवं 2006 के आरक्षण दिए जाने वाले शासनादेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया कि यह आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14, 16,19 और 21 विपरीत है। उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से डिप्टी कलेक्टर समेत अन्य पदों के लिए हुई उत्तराखंड सम्मिलित सिविल अधीनस्थ सेवा परीक्षा में उत्तराखंड मूल की महिलाओं को अनारक्षित श्रेणी में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।

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