उत्तराखंड में 88 जगह वनाग्नि की चपेट में, धू-धू कर जल रहे जंगल!

देहरादून प्रदेश में जंगल की आग विकराल होती जा रही है। बीते 24 घंटे में 88 स्थानों पर जंगलों में आग लगी। इसमें गढ़वाल में 45 और कुमाऊं में 32 स्थानों पर आग लगी। प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर 88 आग के मामले सामने आए। जिसकी चपेट में आकर 142.9 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हो गया। वही वरुणावत पर्वत के जंगल में लगी आग से रातभर शहरवासियों के बीच अफरी तफरी का माहौल रहा। वरुणावत की तलहटी से लेकर संग्राली टॉप तक आग के विकराल रूप धारण करने से लाखों की वन संपदा जलकर खाक हो गई। वन विभाग के कर्मचारी रातभर आग बुझाने में जुटे रहे, लेकिन पर्याप्त संसाधनों की कमी के कारण बेशकीमती वन संपदा को नुकसान होने से नहीं बचाया जा सका। वन विभाग को अंतत: एसडीआरफ, एनडीआरफ व पुलिस फोर्स की मदद लेनी पड़ी, जिसके बाद देर रात आग पर कुछ हद तक आग पर काबू पाया जा सका। इसी बीच आग पर काबू पाते हुए एक वनकर्मी ​का दायां हाथ, गाल और कान झुलस गया, जिसे जिला अस्पताल ले जाया गया। जिसका जिला अस्पताल में उपचार चल रहा है। वरुणावत पर्वत समेत उत्तरकाशी से सटे मुखेम रेंज, डुंडा और धरासू रेंज के जंगल अभी भी आग से सुलग रहे हैं।
उत्तरकाशी वन प्रभाग के डीएफओ पुनीत तोमर ने प्रेसवार्ता कर विभाग की ओर से वनाग्नि की रोकथाम को उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।। उन्होंने बताया कि जंगल की आग को रोकने के लिए उत्तरकाशी वन प्रभाग के छह रेंजों में 133 फायर वॉचर तैनात किए गए हैं। वन प्रभाग में अभी तक वनाग्नि की 37 घटनाएं घट चुकी हैं, जिसमें 17 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। सीमांत जनपद जिला मुख्यालय के निकट के जंगलों में कई दिनों से लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। इस कारण जिला मुख्यालय के आसपास धुआं ही धुआं छाया हुआ है। जिससे प्रदूषण बढ़ने से आमजन को परेशानी हो रही है।
प्रदेश में बढ़ते तापमान और तेज हवाओं से वनाग्नि की घटनाएं बढ़ी हैं। वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 24 घंटों में गढ़वाल के आरक्षित वन क्षेत्र में 35 और सिविल वन पंचायत क्षेत्र में 10 स्थानों पर आग लगी। वही कुमाऊं में आरक्षित वन क्षेत्र में 24 और सिविल वन पंचायत क्षेत्र में आठ, कुल 32 स्थानों पर जंगलों में आग लगी।

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