कांग्रेस अध्यक्ष : राहुल और सोनिया ने खड़े किये हाथ!

सोनिया, राहुल बिन चल रही सीडब्ल्यूसी की बैठक

  • राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे का प्रस्ताव पास और वह केरल के वायनाड के लिये हुए रवाना  
  • यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी बैठक का हिस्सा बनने से किया इनकार और वहां से निकलीं 
  • पार्टी के युवा तुर्कों और वरिष्ठ नेताओं में वैचारिक टकराव बढ़ने से कठिन होने वाली है चुनाव प्रक्रिया  
  • ज्योतिरादित्य, सचिन, जितिन जैसे युवा नेता नए अध्यक्ष के लिए करेंगे राहुल की पसंद का समर्थन 
  • गुलाम नबी आजाद, पी. चिदंबरम, अहमद पटेल जैसे नेता किसी अनुभवी चेहरे पर दांव लगाने के पक्ष में 

नई दिल्ली। कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की आज शनिवार को हो रही बैठक में नए अध्यक्ष के चयन के लिए किसी पैनल अथवा व्यवस्था पर निर्णय होगा। करीब 11 बजे शुरू हुई बैठक में सबसे पहले राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे का प्रस्ताव पास किया गया और राहुल ने पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने का फैसला वहां मौजूद कांग्रेस नेताओं पर छोड़ते हुए बैठक का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया और वह केरल के वायनाड के लिये रवाना हो गये। इसके तुरंत बाद यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिये हो रही बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया और वहां से निकल गईं। अब कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुनने का दारोमदार बैठक में मौजूद पार्टी नेताओं के कंधे पर आ गया है। 
हालांकि उनके लिये यह काम इतना आसान नहीं होने जा रहा है क्योंकि युवा पीढ़ी और वरिष्ठ नेताओं के बीच वैचारिक मतभेद सामने आने पर नए अध्यक्ष चुनने की राह काफी कठिन नजर आ रही है। पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर मुकुल वासनिक, खड़गे, गहलोत और शिंदे सहित कई वरिष्ठ नेताओं के नामों की चर्चा है। नए अध्यक्ष को चुनने के लिए कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाई। 
कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक शुरू हो चुकी है जिसमें पार्टी के नए अध्यक्ष के चयन के संदर्भ में निर्णय लिए जाने की उम्मीद है। पार्टी नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में और देरी की कतई गुंजाइश नहीं है।
हालांकि इतना तय है कि पार्टी का अगला अध्यक्ष गांधी परिवार से नहीं होगा, क्योंकि राहुल साफ कर चुके हैं कि उनके परिवार से इस पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं है। सोनिया और राहुल ने बैठक में शामिल होने से मना कर दिया और राहुल का इस्तीफा मंजूर होते ही वे दोनों वहां से रवाना हो गये। गौरतलब है कि सोनिया गांधी को वर्ष 1998 में अध्यक्ष बनाया गया था और वह दिसंबर 2017 तक पद पर रहीं। गांधी परिवार में राहुल सबसे कम 20 महीनों तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे। अब बदले परिप्रेक्ष्य में पार्टी के युवा तुर्कों और वरिष्ठ नेताओं में टकराव बढ़ने से चुनाव प्रक्रिया की राह आसान नहीं रह गई है। इस मुद्दे पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, जितिन प्रसाद जैसे युवा नेताओं ने नए अध्यक्ष के लिए राहुल गांधी की पसंद का समर्थन करने का फैसला किया है। जबकि गुलाम नबी आजाद, पी. चिदंबरम, अहमद पटेल जैसे नेता किसी अनुभवी चेहरे पर दांव लगाने के पक्ष में हैं।
सूत्रों के अनुसार फिलहाल राहुल की पसंद संगठन सचिव केसी वेणुगोपाल हैं। उनके नाम पर सहमति न होने पर वह कुमारी शैलजा का नाम आगे कर सकते हैं। दूसरी ओर इस बारे में वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि वेणुगोपाल के सामने लोकप्रियता का संकट है। बाहर तो दूर वह अपने गृह राज्य केरल में ही लोकप्रिय नहीं हैं। केरल में उनसे अधिक लोकप्रिय एके एंटनी, रमेश चेन्नीथला, ओमन चंडी और शशि थरूर हैं।
वरिष्ठ नेताओं की पसंद मुकुल वासनिक या मल्लिकार्जुन खरगे या हरीश रावत बताये जाते हैं।  केरल के ताकतवर नायर समुदाय से आने वाले वेणुगोपाल को छोड़कर अन्य तीनों उम्मीदवार दलित समुदाय के हैं। माना जा रहा है कि 59 वर्षीय वासनिक पर दोनों खेमे सहमत हो सकते हैं। साझे उम्मीदवार पर सहमति न बनने पर कांग्रेस को 1967 की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। तब इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाले युवाओं ने के. कामराज, मोरारजी देसाई और नीलम संजीव रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह कर अलग पार्टी बना ली थी।
बीते एक सप्ताह से दोनों खेमों में मोर्चेबंदी तेज हो गई है। गत बुधवार को मुंबई में मिलिंद देवड़ा के निवास पर बैठक हुई। दो दिन वार्ताओं का दौर चला। देशभर से प्रदेश अध्यक्ष और राज्यों के प्रभारी दिल्ली पहुंच चुके हैं। वहीं, वरिष्ठ नेता भी अपनी रणनीति को धार देने के लिये रात-रात भर बैठकों में व्यस्त हैं। गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 पर पार्टी वैचारिक आधार पर बंटी हुई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, जनार्दन द्विवेदी, जितिन प्रसाद, दीपेंद्र हुड्डा जैसे नेताओं ने इस मामले में पार्टी के रुख की कड़ी आलोचना की है। बुधवार को 370 पर बुलाई कार्यसमिति की बैठक में जितिन और आरपीएन सिंह ने पार्टी के फैसलों पर सवाल उठाए थे।

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