गोपेश्वर (चमोली)। चमोली हादसे में झुलसे 11 लोगों का इलाज लगातार जारी है। इसमें से दो की हालत गंभीर बनी हुई है। इस दर्दनाक हादसे ने जहां एक ओर सबको झकझोर कर रख दिया है तो वहीं दूसरी ओर ये बात सामने आ रही है कि पहले भी इस प्लांट में तीन बार करंट उतरा था और तब भी कई कर्मचारी झुलसे थे। लेकिन अब बड़ा हादसा होते ही सभी विभाग पल्ला झाड़ रहे हैं। हालांकि प्रशासन की ओर से मामले की जांच की जा रही है, जिसके बाद वास्तवितक स्थिति का पता चल पाएगा।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के कांफिडेंट इंजीनियरिंग कंपनी व जयभूषा कंपनी जिस सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में हादसा हुआ उसमें कर्मियों की तैनाती और मेंटिनेंस का काम संयुक्त रूप से करती है। जबकि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट पर सीवर की सप्लाई जल संस्थान द्वारा की जाती है। इसके साथ ही बिजली सप्लाई की जिम्मेदारी ऊर्जा निगम की है। लेकिन बुधवार को हुए हादसे की जिम्मेदारी कोई भी नहीं ले रहा है। तीनों जिम्मेदार एजेंसी इस से अपना पल्ला झाड़ रही हैं। तीनों अपने स्तर से किसी चूक के होने से इंकार कर रहे हैं।
वहीं जल संस्थान के ईई संजय श्रीवास्तव ने बताया कि एसटीपी के ठीक पीछे बिजली का ट्रांसफार्मर है। एक वर्ष पूर्व फाल्ट आने से ऊर्जा निगम ने ट्रांसफार्मर बदला था, और कंपनी ने प्लाट की केवल बदली थी। वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले भी तीन बार यहाँ करंट की घटनाएं हो चुकी है। लेकिन हादसों को दबा दिया गया। जब पहले से यहां पर तैनात युवक की मौत करंट लगने से होने की बात कही जा रही थी। तब इसको लेकर विभाग गंभीर क्यों नहीं हुए। यदि किसी भी स्तर से गंभीरता बरती जाती तो हादसा नहीं होता। एक तरफ प्लोट का संचालन करने वाली कंपनी के अधिकारी इसके लिए पूरी तरह से ऊर्जा निगम को जिम्मेदार बता रहे है।
जबकि ऊर्जा निगम का स्पष्ट कहना है कि बीती रात को बिजली लाइन में फाल्ट आया था। लेकिन प्लांट में युवक की करंट से मौत की उन्हें सूचना नहीं दी गई। न ही किसी ने शटडाउन के लिए कहा था। जबकि जल संस्थान के ईई अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने ऊर्जा निगम को हादसे के बारे में जानकारी दे दी थी और बिजली काटने के लिए कह दिया था। अब सवाल यह है कि इसके लिए किस स्तर से चूक हुई। तीनों में से ही कोई इसके लिए जिम्मेदार है। किस स्तर की गलती से इतने परिवार उजड़ गए।