पीड़ित छात्रा की आपबीती के सामने बह गईं सभी दलीलें

बोर्डिंग स्कूल गैंगरेप कांड

  • साक्ष्य थे कम, फिर भी इस आधार पर तय हुई नाबालिगों की सजा
  • सुबूतों के अभाव में किशोर न्याय बोर्ड ने कर दिया था तीनों को बरी
  • वैज्ञानिक साक्ष्य कम होने पर भी कई अहम गवाहियों से मिला बल

देहरादून। अदालत ने बोर्डिंग स्कूल गैंगरेप कांड के मामले में नाबालिग छात्रों की सजा का आधार सिर्फ पीड़िता की आपबीती को ही माना। इसके साथ बचाव पक्ष की तमाम दलीलें भी पीड़िता की कहानी के आगे नहीं ठहर सकी। हालांकि इस मुकदमे में वैज्ञानिक साक्ष्यों की कमी के चलते कई अहम गवाहियां ऐसी रहीं, जिनसे पीड़िता की कहानी को बल मिला और सभी आरोपियों को जेल भेजा जा सका।गौरतलब है कि गैंगरेप के आरोपी तीन नाबालिगों को किशोर न्याय बोर्ड ने यह कहते ही बरी कर दिया था कि जुर्म साबित होने को पर्याप्त सुबूत नहीं हैं। ऐसे में पीड़ित पक्ष ने छह माह पहले स्पेशल पोक्सो कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील की थी। इस पर भी साथ-साथ ही सुनवाई चलती रही।बचाव पक्ष ने तर्क दिया था कि सभी नाबालिग छात्र हैं। इनका कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है, लिहाजा इनके साथ नरमी बरती जाए। मगर अदालत ने इसमें केवल पीड़िता के बयानों को ही आधार बनाया।
अदालत ने माना कि पीड़िता के साथ चारों छात्रों ने दुष्कर्म किया था। ऐसे में जो आरोप उसने सर्वजीत पर लगाए हैं वही इन पर भी हैं। ऐसे में यह कहते हुए कि ये नाबालिग हैं उनको बरी नहीं किया जा सकता है। पीड़िता की आपबीती दर्दनाक है और सिर्फ वैज्ञानिक साक्ष्यों के अभाव में अपराधी बरी होने के काबिल नहीं हैं। अदालत ने 16 वर्ष से अधिक आयु वाले नाबालिग पर ही 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इससे कम वालों के खिलाफ सिर्फ सजा का ही ऐलान किया गया है।
घटनाक्रम के अनुसार इस घिनौनी वारदात के सामने आने पर तत्कालीन एसडीएम विकासनगर, जिनके संज्ञान में लाकर यह कार्रवाई की गई। इसके बाद जिला बाल कल्याण समिति के सदस्यों की गवाही हुई। इनके सामने ही गिरफ्तारियां हुईं। लड़की के पिता की कॉल डिटेल निकाली गई। जिससे सिद्ध हुआ कि वह 16 सितंबर 2018 की रात सूचना के बाद ही दिल्ली से चले थे। लड़की के पिता की आवाज के सैंपलों की जांच रिपोर्ट, जिसमें पुष्ट हुआ कि यह उनकी ही आवाज है। तत्कालीन एसओ सहसपुर नरेश राठौर के पर्यवेक्षण में सारी कार्रवाई हुई।
इस गैंगरेप मामले में आरोपियों ने कोर्ट को गुमराह करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। ट्रायल पूरा होने के बाद से लगातार आरोपियों ने प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किए। अंतिम दिन भी साक्ष्य प्रस्तुत करने का दावा किया, लेकिन कोर्ट ने इन सभी प्रार्थनापत्रों को आधारहीन बताया।
दरअसल गत 15 जनवरी के बाद ही अदालत में इस मुकदमे का ट्रायल पूरा हो चुका था। इसके बाद भी आरोपियों की ओर से प्रार्थनापत्र दिया गया कि वे अपने बचाव में कुछ साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहते हैं। इसके लिए 28 जनवरी की तिथि नियत की गई। इस तिथि में भी बचाव पक्ष की ओर से कोई ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नहीं हुआ जिससे उनकी बेगुनाही साबित हो सके।
बीते सोमवार के दिन दोष सिद्ध की घोषणा होने से पहले भी कुछ लोगों ने प्रार्थनापत्र अदालत में दाखिल कर दिया। फिर से यही दलील दी गई कि वे कुछ साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहते हैं, जिससे उन पर लगाए गए सारे आरोप निराधार साबित हो जाएंगे, लेकिन अदालत ने इन सब दलीलों को खोखला माना। अदालत के अनुसार इस तरह के प्रार्थनापत्रों के चलते पहले ही फैसला काफी लेट हो चुका है, लिहाजा अब इसे आगे बढ़ाना उचित नहीं होगा। अदालत ने इन प्रार्थनापत्रों को खारिज करते हुए दोष सिद्धि की घोषणा कर दी। 

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