बालाकोट, पाक पर हावी दिखे स्थानीय मुद्दे!

ये पब्लिक है जनाब

  • हरियाणा, महाराष्ट्र और उपचुनाव में भाजपा को धीरे से लगे जोर के झटके
  • बिन मल्लाह के मंझधार में फंसी कांग्रेस की नैया को मिलता दिख रहा किनारा

नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव की तस्वीर अब साफ हो गई है। एक तरफ महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन फिर से सत्ता पर काबिज होता दिख रहा है, वहीं हरियाणा में भाजपा अबकी बार 75 पार का नारा लगाने वाली भाजपा बहुमत के पास भी नहीं फटक पाई है। अब तक के नतीजों को देखें तो एक बात स्पष्ट है कि मई में लोकसभा चुनावों में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद हुए पहले विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत की चमक मंद होती दिख रही है।
भाजपा के कई दिग्गज उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं। हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला अपनी सीट भी नहीं बचा पाए। फायरब्रांड नेता और ताबड़तोड़ प्रचार के बाद भी दोनों राज्यों में भाजपा का प्रदर्शन दमदार नहीं कहा जा सकता। इन चुनावों में 370, बालाकोट, पाकिस्तान जैसे मुद्दों को ही मोदी एंड कंपनी ने हवा दी, लेकिन नतीजों से साफ है कि जनता ने स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दी है। मोदी ने खुद चुनाव प्रचार की कमान अपने हाथों में ली थी पर जादू पहले जैसा नहीं चल सका।
निर्वाचन आयोग के अब तक आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र की 288 सीटों में से भाजपा ने 16, कांग्रेस ने 7, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी ने 5, शिवसेना ने 10 सीटें जीत ली हैं। फिलहाल भाजपा के उम्मीदवार 84, कांग्रेस के 36, एनसीपी के 50 और शिवसेना के 48 सीटों पर आगे चल रहे हैं।

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