अजीत डोभाल : पौड़ी गढ़वाल के लाल ने रचे कई इतिहास!

होनहार बिरवान के होत चिकने पात

  • ऑपरेशन ब्लू स्टार से ‘बंदर’ और 370 तक, इंदिरा हों या मोदी सबका जीता दिल
  • ऑपरेशन ब्लू स्टार में अहम भूमिका, कूका पारे को मुख्यधारा में लाए
  • भारत विरोधी कश्मीरी उग्रवादी कूका पारे उर्फ मोहम्मद यूसुफ पारे को अजीत डोभाल मुख्य धारा में लाए। 
  • पीओके में ऑपरेशन के पीछे बड़ी भूमिका, 1991 में रोमानियाई राजनयिक को बचाया
  • पीओके में बालाकोट में आंतकियों के कैंप नष्ट करने की सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे भी एनएसए का दिमाग  

देहरादून। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने का मोदी सरकार का फैसला एक ऐतिहासिक कदम है। जिसे नेहरू की भूल सुधार के रूप में बताया जा रहा है। हालांकि इसको अमल में लाने की योजना पर काफी लंंबे समय से काम चल रहा था। 
मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी सुरक्षा व्यवस्था की। पहले से आतंकवाद की समस्या से जूझ रही कश्मीर घाटी में सरकार के इस कदम का दूरगामी असर कैसा होगा, यह अभी भविष्य के गर्भ में है। इसके लिये राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को जम्मू कश्मीर की व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई और उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के लाल ने एक बार फिर खुद को साबित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सबका दिल जीत लिया। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब वह अपनी जिम्मेदारियों पर खरे उतरे हों। इससे पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार में डोभाल की अहम भूमिका ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी अपना मुरीद बना लिया था।
उल्लेखनीय है कि अजीत कुमार डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी करके के बाद उन्होंने आगरा विवि से अर्थशास्त्र में एमए किया। इसके बाद 1968 में वह केरल कैडर से आईपीएस के लिए चुने गए। वर्ष 1984 में तीन से छह जून तक चले ऑपरेशन ब्लू स्टार ने देश को हिलाकर रख दिया था। तब अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर पर खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों ने कब्जा कर लिया था। इसको मुक्त कराने के लिए चलाये गये अभियान को ऑपरेशन ब्लू स्टार नाम दिया गया था। उस समय भिंडरावाले को पाकिस्तान का समर्थन मिल रहा था। इस ऑपरेशन में अजीत डोभाल ने एक पाकिस्तानी गुप्तचर की भूमिका निभाते हुए सेना के लिए खुफिया जानकारी जुटाई। इसकी बदौलत सेना का ऑपरेशन आसान हो गया और इसे अंजाम तक पहुंचाया गया।
भारत विरोधी कश्मीरी उग्रवादी कूका पारे उर्फ मोहम्मद यूसुफ पारे को पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण दिया था। डोभाल के प्रयास से कूका पारे 250 आतंकियों को साथ लेकर पाकिस्तान के खिलाफ हो गया था। उसने जम्मू एंड कश्मीर वामी लीग नाम की पार्टी बनाई। कूका एक बार विधायक भी बना। हालांकि वर्ष 2003 में एक कार्यक्रम से लौटते समय उसकी आतंकियों ने हत्या कर दी थी।
वर्ष 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट द्वारा अपहृत किए गए रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को बचाने की सफल योजना बनाने वाले अजीत डोभाल ही थे। डोभाल ने पाकिस्तान और ब्रिटेन में राजनयिक जिम्मेदारियां संभालीं। एक दशक तक उन्होंने खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा का नेतृत्व किया।
पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर बालाकोट में आंतकियों के कैंप को नष्ट करने के सर्जिकल स्ट्राइक के पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का दिमाग है।  डोभाल कब कौन से ऑपरेशन को अंजाम देंगे इस बारे में तब ही पता चलता है जब ऑपरेशन पूरा हो जाता है। कुछ ऐसी भूमिका उन्होंने अनुच्छेद 370 के हटाने में निभाई। जिससे पाकिस्तान उलझन में पड़ गया है और उसे अब कश्मीर का मुद्दा विश्व के मंच पर रखने का कोई रास्ता ही नहीं सूझ रहा है।

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