- प्रमुख विपक्षी दलों ने धामी सरकार के 4 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ राज्यपाल को भेजा ज्ञापन
देहरादून। आज शुक्रवार को प्रमुख विपक्षी दलों ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजते हुए धामी सरकार के 4 अक्टूबर के आदेश के खिलाफ आवाज उठाई और सरकार की मंशा पर शक जताया है। इस आदेश द्वारा सरकार जिला अधिकारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून द्वारा लोगों को हिरासत में लेने का अधिकार दिया गया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि इस आदेश से आम जनता के बीच भय का माहौल बन रहा है और जनता को सरकार की मंशा और इरादों पर शक हो रहा है। जब सरकार खुद इस बात का प्रचार कर रही है कि उत्तराखंड राज्य लॉ एंड आर्डर में देश का नंबर एक राज्य है तो ऐसे असाधारण और आपातकाल कदम को उठाने की क्या ज़रूरत थी? क्या इस मुश्किल दौर में जनता की समस्याओं को संवाद द्वारा समाधान निकालने के बजाय सरकार उनको ऐसे असाधारण कानून लगा कर कुचलना चाह रही है?
ज्ञापन में कहा गया है कि आदेश में सिर्फ लिखा है कि कतिपय ज़िलों में हिंसक घटनाएं हुई है। लेकिन 2017, 2018 और अब भी हिंसक घटनाएं लगातार हुई हैं। सतपुली, मसूरी, आराघर, कीर्तिनगर, हरिद्वार, रायवाला, कोटद्वार, चम्बा, अगस्त्यमुनि, डोईवाला, घनसाली, रामनगर, रुड़की और अन्य जगहों में हिंसा कर दंगा फैलाने की कोशिश की गयी थी। लेकिन इन सभी घटनाओं के बाद भी हिंसक कार्यकर्ता और संगठनों के विरुद्ध कोई सख्त कार्यवाही नहीं की गयी थी।
ज्ञापन में कहा गया है कि इससे सरकार की मंशा शक के दायरे में आती है। अगर कोई भी किसी भी प्रकार का अपराध करता है, उस पर कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए, चाहे उनका धर्म या जाति कुछ भी हो। लेकिन एक तरफ हिंसा को अंजाम देना और दूसरी तरफ असाधारण कानून लगा कर चुनावी समय में लोकतंत्र को कुचलना, यह गैर संवैधानिक और जन विरोधी कार्य है। हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप सरकार को निर्देश करें कि वे अविलम्ब 4 अक्टूबर के आदेश को वापस लें।
ज्ञापन पर सुरेंद्र अग्रवाल, प्रवक्ता कांग्रेस, समर भंडारी, राज्य सचिव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, डॉ. एसएन सचान, राज्य अध्यक्ष समाजवादी पार्टी, शिव प्रसाद सेमवाल, केंद्रीय प्रवक्ता उत्तराखंड क्रांति दल, राजेंद्र नेगी, राज्य सचिव मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी राकेश पंत, राज्य संयोजक तृणमूल कांग्रेस, हरजिंदर सिंह, राज्य अध्यक्ष जनता दल (सेक्युलर के हस्ताक्षर हैं।