मोदी ने अपने संबोधन में दी गलत जानकारी, इसके लिए देश से मांगें माफी : कांग्रेस

पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने उठाये सवाल

  • जब अब तक देश की 50 फीसद आबादी को कोविड का एक भी टीका नहीं लगा पाई सरकार
  • और सरकार की अक्षमता से लाखों लोगों की जान चली गई तो फिर किस बात का मना रहे जश्न

नई दिल्ली। आज शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम अपना संबोधन दिया। राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कोरोना टीकाकरण पर भारत की उपलब्धि को लेकर चर्चा की। वहीं इस संबोधन के बाद कांग्रेस ने मोदी पर गलत जानकारियां देकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है और देश से माफी मांगने के लिए कहा है। 
पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पीएम मोदी से सवाल किया कि जब देश की 50 फीसद आबादी को कोविड का एक भी टीका नहीं लगा और सरकार की अक्षमता के कारण लाखों लोगों की जान चली गई तो फिर किस बात का जश्न मनाया जा रहा है? वल्लभ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कुछ ऐसे तथ्य रखे जो आधे-अधूरे थे और गलत भी थे। इनसे वैज्ञानिक समुदाय में भ्रम फैल सकता है। हमारे यहां कहावत है कि नीम-हकीम खतरा-ए-जान। प्रधानमंत्री ‘एन्टायर पोलिटिकल साइंस’, ‘इवेंटोलॉजी’ और ‘वस्त्रोलॉजी’ के बारे में बात कर सकते हैं, लेकिन स्वास्थ्य और महामारी जैसे संवेदनशील विषय पर उन्हें गलत जानकारी नहीं देनी चाहिए थी। 
कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पहली बार टीके बने हैं। मुझे लगता है कि यह भारत के वैज्ञानिकों, औषधि उद्योग, चिकित्सकों, नर्सों, कोरोना योद्धाओं का अपमान है। सच्चाई यह है कि भारत पहले से ही टीकों के उत्पादन का बहुत बड़ा केंद्र है। भारत में 1960 के दशक में टीबी के नियंत्रण का कार्यक्रम आरंभ किया गया था। वर्ष 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक साथ छह बीमारियों के लिए टीकाकरण आरंभ किया, लेकिन कहीं अपना फोटो लगाकर विज्ञापन नहीं किया। वर्ष 2011 में टीकाकरण नीति बनाई गई।
वल्लभ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि भारत दुनिया का पहला देश बना जहां टीकों की 100 करोड़ खुराक दी गई है। जबकि 16 सितंबर, 2021 तक चीन में 200 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं।  उन्होंने ‘वीआईपी संस्कृति’ वाली टिप्पणी पर भी प्रधानमंत्री को घेरा और कहा कि टीकाकरण में वीआईपी संस्कृति की कैसे बात कर रहे हैं? क्या पहले पोलियो की खुराक गरीब परिवारों के बच्चों को दो बूंद और वीआईपी परिवारों के बच्चों को तीन बूंद दी जाती थी? उन्हें ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए। 
गौरव ने कहा कि क्या उन लाखों परिवारों के लिए जश्न का समय है जिन्होंने सरकार की अक्षमता के कारण अपने प्रियजनों को खोया है? मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को इन परिवारों से माफी मांगनी चाहिए। यह जश्न का समय नहीं। जो गलत जानकारी उन्होंने दी है, उसके लिए क्षमा मांगें।

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